Chanakya Niti: स्त्री के ये 4 गुण, दाम्पत्य जीवन को खुशहाल बना सकते हैं! जानें क्या हैं वे चार गुण!

भारतीय इतिहास के शिखरस्थ विद्वानों में एक हैं, आचार्य चाणक्य. चाणक्य की मूल पहचान एक जटिल राजनीतिज्ञ की रही है, मगर उनके द्वारा लिखी चाणक्य नीति आज भी उतना ही सामयिक है, जब इसे रचा गया था, जिसमें लिखी बातों को आज भी लोग अपने जीवन में उतारते हैं, और लाभान्वित होते हैं.

भारतीय इतिहास के शिखरस्थ विद्वानों में एक हैं, आचार्य चाणक्य. चाणक्य (Chanakya ) की मूल पहचान एक जटिल राजनीतिज्ञ की रही है, मगर उनके द्वारा लिखी चाणक्य नीति (Chanakya Niti) आज भी उतना ही सामयिक है, जब इसे रचा गया था, जिसमें लिखी बातों को आज भी लोग अपने जीवन में उतारते हैं, और लाभान्वित होते हैं. आज चाणक्य की उन्हीं नीतियों में से एक श्लोक के माध्यम से हम बताएंगे कि शादीशुदा जीवन को कब और कैसे खुशहाल बनाया जा सकता है. यह भी पढ़ें : Yoga for Constipation: योग से बनेगा पाचन तंत्र मजबूत, कब्ज की समस्या होगी दूर

‘साभार्या या शुचि दक्षा सा भार्या या पतिव्रता।

सा भार्या या पतिप्रीता सा भार्या सत्यवादिनी।।‘

उपयुक्त श्लोक के चार मुख्य शब्दों के अर्थों को देखें

शुचि कक्षा, यानी जो मन, वचन और कर्म से शुद्ध और कुशल हो.

पतिव्रता: अर्थात जो पति के प्रति निष्ठावान और वफादार हो.

पति प्रीता:  का आशय जो अपने पति से प्रेम करती हो.

सत्यवादिनी: यानी जो हमेशा सच बोलती हो.

अर्थात एक आदर्श पत्नी वह होती है जो मन, वचन और कर्म से शुद्ध हो, जो अपने पति के प्रति समर्पित और प्रेम करने वाली हो, और जो हमेशा सच बोलने वाली हो.

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य के कहने का आशय यह है कि एक खुशहाल और मजबूत दांपत्य जीवन के लिए आपसी विश्वास, प्रेम, सम्मान और सच्चाई बहुत महत्वपूर्ण हैं. यह भी सलाह दी जाती है कि पति-पत्नी को एक-दूसरे की इज्जत करनी चाहिए, सम्मान करना चाहे, एक-दूसरे के प्रति ईमानदार रहना चाहिए, और घर की बातें बाहर साझा नहीं करनी चाहिए.

 

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