Chanakya Niti: कौवे की ये पांच बातें मनुष्य सीख ले, तो उसका जीवन सफल हो सकता है! जानें क्या हैं ये 5 गुण?

मनुष्य के आध्यात्मिक, मानसिक एवं नैतिक विकास पर आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में काफी कुछ लिखा है. चाणक्य नीति के छठे अध्याय के 19वें श्लोक में आचार्य ने मनुष्य की तरक्की के जो सूत्र बताए हैं, वह पढ़कर किसी कोई भी हैरानी हो सकती है, क्योंकि इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने मनुष्य को कौवों की कुछ अच्छी सीख लेने की सलाह दी है.

Chanakya Niti (img: file photo)

मनुष्य के आध्यात्मिक, मानसिक एवं नैतिक विकास पर आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में काफी कुछ लिखा है. चाणक्य नीति के छठे अध्याय के 19वें श्लोक में आचार्य ने मनुष्य की तरक्की के जो सूत्र बताए हैं, वह पढ़कर किसी कोई भी हैरानी हो सकती है, क्योंकि इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने मनुष्य को कौवों की कुछ अच्छी सीख लेने की सलाह दी है. चाणक्य की इस नीति के अनुसार कौवों की कुछ आदतों को अपनाने के बाद मनुष्य की तरक्की निश्चित होती है. विशेष रूप से जॉब, व्यवसाय और जीवन के कुछ विशेष मामलों में ये नीतियां बहुत कारगर साबित हो सकती है.

गूढं च मैथुनं धाष्य काले काले च संग्रहम्।

अप्रमत्तमविश्वासं पञ्च शिक्षेच्च वायसात्॥

अर्थात

कौवे की पांच बातें अवश्य सीखना चाहिए… पहला, पत्नी के साथ एकांत में प्रणय करना. दूसरी निडरता, तीसरी उपयोगी वस्तुओं का संचय करना, चौथी सभी दिशाओं में नजर रखना और पांचवी, दूसरों पर आसानी से विश्वास नहीं करना. यह भी पढ़ें : Chanakya Niti: राजा का कुकर्म पुरोहित को क्यों भुगतना पड़ता है? जानें क्या है चाणक्य की इस नीति का रहस्य?

विस्तार से कहें तो कौए में निहित ये पाँच गुण विद्यमान होते हैं, जिन्हें मनुष्य को अवश्य ग्रहण करना चाहिए. जिस प्रकार कौआ छिपकर मैथुन करता है, उसी प्रकार मनुष्य को भी मैथुन क्रिया या पत्नी के साथ रति क्रिया छिपकर करनी चाहिए, इसी में उसकी मर्यादा और सम्मान सुरक्षित रहता है. शत्रुओं का प्रतिकार करने के लिए मनुष्य को कौए से दुष्टता और ढिठाई का सबक लेना चाहिए. इससे वह शत्रुओं का पूर्णतः दमन कर सकता है. कौए की संग्रह की प्रवृत्ति उसकी एक और विशेषता है, जिसे अपनाकर मनुष्य विपत्ति काल का दृढ़ता और साहस के साथ सामना कर सकता है. इसी तरह जिस प्रकार कौआ आलस्य से कोसों दूर रहता है, उसी प्रकार मनुष्य को भी आलस्य का त्याग करके अपनी कार्य-सिद्धि में जुट जाना चाहिए. इससे उस कार्य में सफलता निश्चित हो जाती है, किसी पर विश्वास न करना. कौए का एक और सबसे महत्वपूर्ण गुण है. इसे अपना कर मनुष्य पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता है. इसके बाद कोई भी व्यक्ति उसका अहित नहीं कर सकता.

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