Vinayak Chaturthi 2024: अश्विन विनायक चतुर्थी पर विघ्नहर्ता की इस विशिष्ठ योग में पूजा करने से मिलेगा ये विशिष्ठ पुण्य लाभ!
सनातन धर्म में आश्विन मास शुक्ल पक्ष की नवरात्रि के सभी नौ दिनों का विशेष महत्व माना गया है. ऐसे में विनायक चतुर्थी के दिन देवी भगवती के पुत्र भगवान श्रीगणेश की पूजा का अतिविशिष्ठ महत्व होता है.
Vinayak Chaturthi 2024: सनातन धर्म में आश्विन मास शुक्ल पक्ष की नवरात्रि के सभी नौ दिनों का विशेष महत्व माना गया है. ऐसे में विनायक चतुर्थी के दिन देवी भगवती के पुत्र भगवान श्रीगणेश की पूजा का अतिविशिष्ठ महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन विघ्नहर्ता की विधि विधान से की गई पूजा-अर्चना से जातक के जीवन के सारे दुख समाप्त हो जाते हैं, और जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है.
इस वर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी की पूजा 6 अक्टूबर 2024, रविवार को किया जाएगा. आइये जानते हैं इस व्रत एवं पूजा के महत्व, मुहूर्त एवं पूजा विधि इत्यादि के बारे में.. ये भी पढ़े:Akhand Deep on Navratri 2024: नवरात्रि पर अखंड दीप जला रहे हैं, तो जानें इसके नियम एवं ध्यान! रखें इन बातों का भी ध्यान!
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त
आश्विन मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी प्रारंभः 07.49 AM (06 अक्टूबर 2024, रविवार) से
आश्विन मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी समाप्तः 07.47 AM (07 अक्टूबर 2024, सोमवार) तक
उदया तिथि के अनुसार आश्विन विनायक चतुर्थी का व्रत 6 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा.
चन्द्रास्त 07.53 PM पर होगा
विनायक चतुर्थी शुभ योग
इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर दुर्लभ प्रीति योग का निर्माण हो रहा है. यह योग पूरी रात रहेगा. इसके साथ-साथ रवि योग का संयोग भी बन रहा है. रात के समय भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है. इन योग में भगवान विघ्न विनाशक की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट कट जाते हैं, घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
ब्रह्म मुहूर्त: 04.39 AM से 05.28 AM तक.
विजय मुहूर्त: 02.06 PM से 02.53 PM तक.
गोधूलि मुहूर्त: 06.01 PM से 06.25 PM तक.
आश्विन विनायक चतुर्थी व्रत एवं पूजा विधि
आश्विन विनायक चतुर्थी की दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान गणेश का ध्यान कर विनायक चतुर्थी व्रत एवं पूजा का संकल्प लें और अपनी मनोकामना पूर्ति की याचना करें. अब घर के मंदिर के समक्ष पूर्व अथवा उत्तर दिशा में एक चौकी रखकर उस पर स्वच्छ वस्त्र बिछाएं. इस पर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें. धूप-दीप प्रज्वलित कर निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए पूजा प्रारंभ करें.
‘ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा’
अब भगवान गणेश को रोली, दूर्वा, अक्षत, सिंदूर, पीला चंदन, लाल पुष्प अर्पित करें. भोग में मोदक अथवा लड्डू चढ़ाएं. गणेश जी के 108 नामों का जाप करें. इस दिन भगवान गणेश को चौमुखी दीपक प्रज्वलित करने से धन संबंधी कष्ट दूर होते हैं. पूजा के अंत में गणेशजी की आरती उतारें. इसके बाद लोगों को प्रसाद वितरित करें.