Bharani Shraddha 2025: भरणी श्राद्ध क्या है? यह श्राद्ध कब और क्यों मनाया जाता है, जानें इससे जुड़े कुछ अनछुए पहलू!

भरणी श्राद्ध पितरों की आत्मा की शांति, तृप्ति और आशीर्वाद प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि यह नक्षत्र विशेष से प्रभावित होने वाला श्राद्ध कर्म है. जानकारों के अनुसार भरणी श्राद्ध अगर पूर्ण आस्था एवं विधान के साथ किया जाये तो इससे पितृ दोष से भी मुक्ति मिल सकता है. यह श्राद्ध उन लोगों के लिए किया जाता है जिनका निधन भरणी नक्षत्र में हुआ हो.

   भरणी श्राद्ध पितरों की आत्मा की शांतितृप्ति और आशीर्वाद प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि यह नक्षत्र विशेष से प्रभावित होने वाला श्राद्ध कर्म है. जानकारों के अनुसार भरणी श्राद्ध अगर पूर्ण आस्था एवं विधान के साथ किया जाये तो इससे पितृ दोष से भी मुक्ति मिल सकता है. यह श्राद्ध उन लोगों के लिए किया जाता है जिनका निधन भरणी नक्षत्र में हुआ हो. ऐसे लोगों के श्राद्ध के लिए तिथि से ज्यादा महत्वपूर्ण नक्षत्र पर आधारित होता है.

किस तिथि में पड़ता है भरणी श्राद्ध

    पितृ पक्ष काल में चतुर्थी के दिन अपराह्न काल में भरणी नक्षत्र होने पर इसे भरणी काल कहा जाता है, लेकिन अगर भरणी नक्षत्र पंचमी तिथि को अपराह्न काल में पड़ता है, तो इसे भरणी पंचमी के नाम से जाना जाता है. ज्योतिषियों का यहां तक कहना है कि आने वाले सालों में भरणी नक्षत्र तृतीया तिथि पर भी आ सकता है, इसलिए भरणी श्राद्ध किसी एक तिथि से जुड़ा हुआ नहीं हैं. फिलहाल इस वर्ष 11 सितंबर 2025, गुरुवार को भरणी श्राद्ध मनाया जाएगा. पंचमी तिथि और भरणी नक्षत्र के आपसी संयोग के कारण इस भरणी श्राद्ध का विशेष महत्व बताया जा रहा है. यह भी पढ़ें : Chanakya Niti: अगर जीवन में चाहते हैं आर्थिक सुख, तो इन तीन बातों को कभी न भूलें

भरणी श्राद्ध का महत्व

   भरणी नक्षत्र का विशेष महत्व यह है कि यह मृतक की तिथि के बजाए भरणी नक्षत्र पड़ने पर ही उचित फल प्राप्त हो सकता है. भरणी नक्षत्र का स्वामी यमराज हैं. मान्यता है कि भरणी नक्षत्र में किया गया श्राद्ध सीधा यमलोक में पितरों तक पहुंचता है, और पितर भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. भरणी श्राद्ध करने से पितर की आत्मा को शांति मिलती है, वे संतुष्ट होकर अपने लोक पहुंचते हैं. इससे घर में सुख, शांति और परिवार की आर्थिक और शारीरिक शक्ति बढ़ती है, बाधाएं एवं नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. कुछ परंपराओं में इसे महालय श्राद्ध भी कहते हैं, और इसे बहुत शक्तिशाली माना जाता है.

भरणी श्राद्ध कैसे किया जाता है?

   भरणी नक्षत्र वाले दिन स्नान और शुद्धि के बाद जातक को पितरों का आह्वान करना होता है. उन्हें तिल, जल, दूध और कुशा से तर्पण किया जाता है. इसके पश्चात आटा, तिल, घी आदि से पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करते हैं. श्राद्ध कर्म के पश्चात ब्राह्मण-भोज कराने के बाद उन्हें दान आवश्यक होता है. जातक परिवार समेत पितरों से जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं.

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