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पितृ पक्ष, जिसे हम श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं, वो 16 दिन होते हैं जब हम अपने उन पूर्वजों को याद करते हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. यह समय उनके प्रति सम्मान और आभार जताने का होता है. मान्यता है कि इन दिनों में हमारे पितर (पूर्वज) धरती पर आते हैं और अपने परिवार से अन्न-जल की उम्मीद रखते हैं.
इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना बहुत ज़रूरी माना जाता है ताकि पूर्वजों की आत्मा को शांति मिले और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहे. आइए, इसे सरल भाषा में समझते हैं.
पितृ पक्ष में क्या करें? (Things to Do in Pitru Paksha)
- तर्पण और श्राद्ध (Tarpan and Shraddh): यह सबसे ज़रूरी काम है. किसी विद्वान ब्राह्मण की मदद से अपने पूर्वजों के नाम पर तर्पण (जल अर्पित करना) और श्राद्ध (भोजन कराना) ज़रूर करें. अगर यह संभव न हो, तो आप खुद भी दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके हाथ में जल, काले तिल और फूल लेकर अपने पूर्वजों को याद करते हुए जल अर्पित कर सकते हैं.
- ब्राह्मण भोज (Brahmin Bhoj): अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर सम्मानपूर्वक भोजन कराएं. भोजन में पूर्वजों की पसंद का कोई व्यंजन ज़रूर शामिल करें. भोजन के बाद उन्हें वस्त्र और दक्षिणा देकर विदा करें.
- दान-पुण्य (Donation): इन दिनों में दान करना बहुत शुभ माना जाता है. गरीबों, ज़रूरतमंदों को भोजन, कपड़े, जूते-चप्पल या अनाज का दान करें. इससे पितर प्रसन्न होते हैं.
- पशु-पक्षियों को भोजन दें (Feed Animals): पितृ पक्ष में गाय, कुत्ते, कौवे और चींटियों को भोजन कराना बहुत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि हमारे पूर्वज इन रूपों में भी भोजन ग्रहण करने आ सकते हैं. इसलिए अपनी थाली से पहली रोटी गाय के लिए और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए ज़रूर निकालें. कौवों के लिए भी भोजन का एक हिस्सा छत पर रखें.
- सात्विक जीवन जिएं (Live a Simple Life): इन 16 दिनों में सादा जीवन अपनाएं. घर में शांति का माहौल रखें. गुस्सा, लड़ाई-झगड़ा या किसी के लिए अपशब्दों का प्रयोग न करें.
पितृ पक्ष में क्या न करें? (Things to Avoid in Pitru Paksha)
- शुभ और मांगलिक कार्य (No Auspicious Events): पितृ पक्ष शोक और श्रद्धा का समय होता है, इसलिए इस दौरान शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन या कोई नया व्यापार शुरू करने जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.
- नई चीजों की खरीदारी (No New Purchases): कोशिश करें कि इन दिनों में कोई नई चीज़ जैसे गाड़ी, मकान, नए कपड़े या सोना-चांदी न खरीदें. यह समय उत्सव का नहीं, बल्कि संयम का है.
- खान-पान में परहेज़ (Dietary Restrictions):
- इन दिनों में मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन बिलकुल न करें.
- लहसुन, प्याज, मसूर की दाल, सरसों का साग, और बासी भोजन करने से बचें. यह तामसिक भोजन की श्रेणी में आते हैं.
- नाखून और बाल कटवाना (No Haircut or Shaving): श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को इन 16 दिनों तक बाल, दाढ़ी और नाखून काटने से बचना चाहिए. इसे शोक और सम्मान प्रकट करने का एक तरीका माना जाता है.
- किसी का अपमान न करें (Do Not Disrespect Anyone): घर पर आए किसी भी व्यक्ति, भिखारी या जानवर का अपमान न करें. उन्हें भगाएं नहीं, बल्कि अपनी क्षमता के अनुसार कुछ न कुछ ज़रूर दें.
संक्षेप में कहें तो पितृ पक्ष डरने का नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों की जड़ों से जुड़ने और उनका आशीर्वाद पाने का समय है. इन छोटे-छोटे नियमों का पालन करके हम उनके प्रति अपना सम्मान प्रकट कर सकते हैं, जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है.












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