भानु सप्तमीः सूर्योपासना से मिलता है मोक्ष और मिटती है दुःख एवं दरिद्रता
सूर्य (Photo Credits : PTI)

भारत के सनातन धर्म में पांच प्रमुख देवों की आराधना का विशेष महात्म्य है. सूर्य, गणेशजीदुर्गाजीशिव जी एवं केशव यानी भगवान विष्णु. आप किसी भी तरह का अनुष्ठान करेंगे तो इन पांचों देवता की पूजा आवश्यक होती है. इनमें सूर्य ही ऐसे देवता हैं, जिनका दर्शन आप खुली आंखों से कर सकते हैं. सूर्य ही वह देवता हैं जिनके बिना प्रकृति का एक पत्ता भी नहीं हिल सकता. सूर्य की  दिव्य किरणों में चमत्कारिक औषधियां निहित होती हैं. सूर्य का ही पर्यायवाची शब्द भानु है और शास्त्रों में भानु सप्तमी का विशेष महात्म्य बताया गया है. आखिर क्या है भानु अथवा सूर्य सप्तमी का महात्म्य...

हिंदूं पचांग के अनुसार भानु सप्तमी (सूर्य सप्तमी) प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन मनाई जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष यह तिथि 26 मईरविवार के दिन पड़ रहा है. वैदिक धर्म में सूर्य को ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि भानु सप्तमी के दिन अगर कोई भक्त सच्ची श्रद्धा एवं आस्था के साथ सूर्य देव की विधिवत पूजा-अर्चना करे तो उसे सभी पापों और बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है.

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सूर्योपासना का लाभ: सभी ग्रहों में सूर्य को सबसे उच्च स्थान प्राप्त है. सूर्योपासना के विशेष दिनों में जो भी श्रद्धालु सूर्य देव की पूजा करते समय आदित्य ह्रदय एवं अन्य सूर्य स्त्रोत का पाठ करेंगे और साथ ही जो भी इस पाठ को सुनेगा उनकी हर मनोकामना पूरी होती है. ऐसा भी कहा जाता है कि प्रत्येक दिन सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से मानसिक संतुलन मजबूत होता है और मन को शांति मिलती है.

भानु सप्तमी का व्रत एवं आराधना: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि की प्रातःकाल उठकर सर्वप्रथम सूर्य दर्शन कर उन्हें प्रणाम करें. स्नान ध्यान कर पूजा के लिए एक तांबे के साफ बर्तन में स्वच्छ जल भरकर उसमें लाल चंदनअक्षतलाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय 'ॐ सूर्याय नमः' का निरंतर जाप करते रहें. इसके पश्चात ब्राह्मणों अथवा गरीबों को अन्न अथवा वस्त्र या फिर दोनों ही चीजों का दान करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से घर धन-धान्य से हमेशा भरा रहता है.

आप चाहें तो इस मंत्र का भी जाप कर लाभान्वित हो सकते हैं.

ऊँ घृणि सूर्याय नम:ॐ सूर्याय नम:,

नमस्ते रुद्ररूपाय रसानां पतये नम:,

वरुणाय नमस्तेsस्तु

पूरे विधि-विधान से रखें व्रत: व्रत में फलाहार करते हुए नमक के सेवन से बचना चाहिए और सूर्योस्त के पश्चात भोजन नहीं करना चाहिए. ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन प्रातःकाल उठकर प्रयागराज में त्रिवेणी में पांच डुबकियां लगाते हैं और सूर्य को लाल पुष्प के साथ जल अर्पित करने से पुण्य के साथ-साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. सूर्य सप्तमी के दिन उपवास रखने से व्यक्ति विशेष को दीर्घायु प्राप्त होती है और वह हमेशा चुस्त-दुरुस्त रहता है. सुख और ऐश्वर्य उसके कदम चूमती है.

हमारे वेदों में वर्णित है कि भानु सप्तमी के दिन हवनमंत्रों आदि का पाठदान-पुण्य करने से जन्म जन्मांतर तक के फल प्राप्त होते हैं. इस दिन सच्चे मन और विधिवत तरीके से सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से इंसान कभी अंधादरिद्रदु:खी और शोकग्रस्त नहीं होता.