नई दिल्ली: हिन्दू धर्म के मुताबिक भादो महीने के शुक्ल पक्ष कि सप्तमी को संतान सप्तमी व्रत रखा जाता है. इस साल यह व्रत 16 सितंबर 2018 को है. इस व्रत को भुक्ताभरण संतान सप्तमी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत के दौरान माताएं अपने संतान के लंबी आयु और तरक्की के लिए व्रत रखकर पूजा-पाठ करती है. इस दिन शंकर भगवान और माता पार्वती की पूजा होती है. इस दिन व्रत रखने का खास महत्व होता है.
इस व्रत के बारे में मान्यता है कि इस खास दिन जिस महिला को संतान प्राप्ति नहीं हो रहा है. वह इस दिन व्रत रखने के दौरान माता पार्वती व शंकर भगवान की पूजा-पाठ करने पर माता पर्वती के आर्शीवाद से पुत्र की प्राप्ती होती है. वहीं जिन माताओं के पास संतान है उनके व्रत रखने पर उन्हें भोलेनाथ और मां गौरी उन्नति और लंबी आयु का वरदान देते हैं. ये भी पढ़े: गणेशोत्सव 2018: अष्टविनायक का मोरेश्वर स्वरूप, जहां श्री गणेश ने मोर पर सवार होकर किया था सिंधुरासुर का वध
जाने संतान सप्तमी व्रत पूजन विधि
1- सुबह सबसे पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
2- निराहार सप्तमी व्रत का संकल्प लें.
3-इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शंकर की पूजा करें. साथ में शंकर भगवान के पूरे परिवार और नारायण के पूरे परिवार की भी पूजा करें.
4-दोपहर में चौक पूरकर चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेध, सुपारी तथा नारियल आदि से फिर से भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा करें.
5- सप्तमी के व्रत के दौरान नैवेद्ध के रूप में खीर-पूरी तथा गुड़ के पुए बनाये जाते हैं.
6- इस दिन संतान की रक्षा की कामना करते हुए शिवजी को कलावा चढ़ाएं और बाद में इसे खुद धारण करें.
7- व्रत के बाद कथा सुनें.