Zomato और Swiggy से खाना मंगाना हुआ महंगा, डिलीवरी चार्जेस बढ़ाए जाने से ऑनलाइन ऑर्डर में आई गिरावट

ऑनलाइन खाना मंगाना महंगा हो गया है. दरअसल, जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी ऐप कुछ महीनों से अपने ग्राहकों से ज्यादा डिलीवरी चार्जेस वसूल रहे हैं. हालांकि जोमैटो और स्विगी द्वारा बढ़ाए गए डिलीवरी चार्जेस का असर ऑनलाइन ऑर्डर्स पर भी देखा जा रहा है और हर महीने आने वाले ऑर्डर्स में 5-6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.

जोमैटो और स्विगी (Photo Credits: Twitter)

अगर आप आए दिन ऑनलाइन ऑर्डर (Online Food Order) के जरिए अपना खाना मंगाते हैं तो यह खबर आपके लिए है. आपने भले ही इस बात को गंभीरता से नहीं लिया हो, लेकिन यह तो जरूर महसूस किया होगा कि पिछले कुछ महीनों से फूड डिलीवरी चार्जेस (Food Delivery Charges) के नाम पर आपसे ज्यादा पैसा वसूले जा रहे हैं. अगर आप अपने पिछले ऑर्डर्स को खंगालेंगे तो आपको यह बात समझ में आ जाएगी कि आप पिछले कुछ महीनों से महंगा खाना खा रहे हैं. 'द इकोनॉमिक टाइम्स' (The Economic Times) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जोमैटो (Zomato) और स्विगी (Swiggy) जैसे फूड डिलीवरी ऐप (Food Delivery App) कुछ महीनों से अपने ग्राहकों से ज्यादा डिलीवरी चार्जेस (Delivery Fees) वसूल रहे हैं. हालांकि जोमैटो और स्विगी द्वारा बढ़ाए गए डिलीवरी चार्जेस का असर ऑनलाइन ऑर्डर्स पर भी देखा जा रहा है और हर महीने आने वाले ऑर्डर्स में 5-6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, जोमैटो और स्विगी ने डायनैमिक डिस्काउंट और ऑर्डर कैंसल करने के नियमों को कड़ा करते हुए पिछले छह महीनों में डिलीवरी चार्जेस में बढ़ोत्तरी की है, जिसके कारण इन ऐप्स पर ऑनलाइन फूड ऑर्डर्स में 5-6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. पिछले हफ्ते जोमैटो ने ऑल स्टॉक सौदे में भारत में उबेर इट्स को टेकओवर कर लिया है. इस सौदे के बाद उबर को जोमैटो में करीब 10 फीसदी की हिस्सेदारी मिल गई है और इस डील के बाद जोमैटो ने ऑन टाइम या फ्री डिलीवरी सर्विस की शुरूआत की है. इस सर्विस का मतलब यह है कि अगर कोई ग्राहक सिलेक्टेड रेस्टोरेंट से खाना मंगाने पर 10 रुपए चुकाने को तैयार है तो उसे तय समय सीमा के भीतर फूड डिलीवर कर दिया जाएगा और अगर जोमैटो ऐसा करने में असफल रहा तो वह ऑर्डर मुफ्त में देगा.

डिलीवरी चार्जेस बढ़ाए जाने के साथ ही जोमैटो ने गोल्ड मेंबरशिप के दाम भी बढ़ा दिए हैं. पहले जहां जोमैटो इस सर्विस के लिए सालाना 999 रुपए लेता था, वहीं इसमें 80 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है, जिसके बाद एक साल के मेंबरशिप को 1800 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं. स्विगी ने भी कुछ शहरों में अपने डिलीवरी चार्जेस में बढ़ोत्तरी की है और अपने लॉयल्टी प्रोग्राम सुपर को महंगा कर दिया है. स्विगी ने अपने सुपर प्रोग्राम की कीमतों में 20 फीसदी का इजाफा किया है. अब कंपनी तीन महीने की सदस्यता के लिए 349 रुपए वसूलती है, जो पहले 179 रुपए हुआ करती थी. यह भी पढ़ें: Uber Eats ने भारत से समेटा अपना कारोबार, Zomato ने इतने में खरीदा

इन दोनों ऐप्स ने जगह की दूरी के हिसाब से डिलीवरी चार्ज वसूलना शुरू किया है. इसके अलावा ऑर्डर कैंसल करने के नियमों को भी कड़ा कर दिया है. पहले जहां मील फॉर वन की डिलीवरी फ्री होती थी, तो वहीं अब ग्राहकों से इसके लिए 11 रुपए लिए जा रहे हैं. उदाहरण के तौर पर जोमैटो ने दूरी, ऑर्डर और रेस्तरां के आधार पर उपभोक्ताओं के लिए बेस चार्ज 16 रुपए से 45 रुपए निर्धारित किया है, जबकि पहले कंपनी ने एक निश्चित सीमा तक डिलीवरी की सुविधा मुफ्त रखी थी.

बात करें बेंगलुरु की तो यहां जोमैटो ने पीक ऑवर्स के दौरान किए जाने वाले ऑर्डर्स पर 25 रुपए तक की बढोत्तरी और एक ऑफर पर 11 रुपए का डिलीवरी चार्ज जोड़ा है, जो कि पहले मुफ्त था. स्विगी ने भी चुनिंदा छोटे शहरों और बड़े शहरों में रात के समय डिलीवरी चार्जेस में बढ़ोत्तरी की है. गौरतलब है कि पिछले छह से आठ महीनों में इन दो प्रमुख फूड डिलीवरी ऐप ने डिलीवरी चार्जेस में बढ़ोत्तरी की है. रिसर्च फर्म RedSeer कंसल्टिंग के मुताबिक, 2019 के मध्य से फूड टेक प्लेटफॉर्म पर औसत छूट में 200 बेसिस पॉइंट की गिरावट आई है.

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