Year Ender 2021: इस साल प्रधानमंत्री मोदी सरकार द्वारा लिए छह अहम फैसलों पर एक सरसरी नजर!
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इस पूरे साल (2021) मोदी सरकार ने कुछ कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए कई बड़े और महत्वाकांंक्षी फैसले लिये. अब जबकि साल खत्म होने जा रहा है, आइये डालते हैं उन फैसलों पर एक नजर...

साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औऱ उनकी सरकार के सामने कुछ विषम परिस्थितियां उत्पन्न हुईं. उदाहरण के लिए घातक कोविड-19, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ पड़ोसी देश चीन के साथ सीमा गतिरोध और तीन विवादास्पद कानून के खिलाफ किसानों का विरोध आदि के बीच कुछ अहम फैसले लिये. अब जबकि साल खत्म हो रहा है, आइये केंद्र द्वारा लिये फैसलों पर डालते हैं एक सरसरी नजर...

* कृषि कानून निरस्त की घोषणा

गत वर्ष नवंबर माह से हजारों की संख्या में मुख्यतया पंजाब और हरियाणा के किसानों ने केंद्र सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानून के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. मोदी सरकार के मंत्रियों ने उन्हें समझाने की तमाम कोशिशें की, मगर प्रदर्शनकारी किसान अपनी मांग पर अड़े रहे और सरकार की हर अपील को नकारते हुए धरना स्थल पर जमे रहे. अंततः जब मोदी सरकार किसानों को समझाने और आंदोलन वापस लेने में असमर्थ रहे, तब 19 नवंबर 2021 को वह आंदोलनकारी किसान संगठन के साथ बातचीत कर अपने अधिनियमों को रद्द करते हुए किसानों के आंदोलनों पर विराम चिह्न लगाने में सफल रहे.

* COVID-19 के मुफ्त टीके

यह पूरा साल भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझता रहा है. पहले 40 की उम्र तक के लिए वैक्सिनेशन एवं उसके बाद 18 साल तक की उम्र के लोगों के लिए वैक्सिनेशन मिशन का विस्तार किया गया. यद्यपि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) द्वारा वैक्सीन की मनमर्जी खरीद-फरोख्त एवं कथित कमी के कारण वैक्सीन अभियान को रोकने के बाद कुछ विवादों ने जन्म लिया. राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा केंद्र सरकार पर सवाल उठाने के साथ 7 जून 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि केंद्र सरकार 21 जून से सभी को मुफ्त टीके उपलब्ध करायेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि केंद्र वैक्सीन निर्माताओं से 75 प्रतिशत टीके खरीदेगा और राज्य सरकारों को मुफ्त में वैक्सीन मुहैया करवायेगा.

* 7 नई रक्षा कंपनियां

अक्टूबर माह में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि 41 आयुध फैक्ट्री बोर्ड (Ordnance Factory Board) भंग कर दिया है और उसकी सम्पत्ति, कर्मचारियों और प्रबंधन को सात सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSU) के हवाले कर दिया है. आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने गत वर्ष 16 मई को घोषणा की थी, कि वह OFB के निगमीकरण द्वारा आयुध आपूर्ति में स्वायत्ता जवाबदेही औऱ दक्षता में सुधार करेगी.

रक्षा मंत्रालय ने 28 सितंबर के एक आदेश में कहा, -भारत सरकार ने एक अक्टूबर 2021 से प्रभाव के साथ इन 41 उत्पादन इकाइयों और पहचाने गये गैर-उत्पादन इकाइयों का प्रबंधन, नियंत्रण, कामकाज और रखरखाव 7 सरकारी कंपनियों (पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्ववाली) को सौंपने का फैसला किया है.

* केंद्रीय मंत्रिमंडल में अप्रत्याशित फेरबदल:

COVID-19 की दूसरी बिगड़ी लहर, आईटी नियम 2021 और उग्र होते किसान आंदोलन के विरोध से निपटने में असफल होने के कारण केंद्र सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था. इस तरह की तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए मोदी सरकार ने जुलाई 2021 को शीर्ष स्तर पर तमाम फेर-बदल किये, जिसके तहत डॉ. हर्षवर्धन, रविशंकर प्रसाद, रोमेश पोखरियाल निशंक और प्रकाश जावड़ेकर जैसे शीर्षस्थ केंद्रीय मंत्रियों को बर्खास्त किया गया. इसके बाद 7 जुलाई को कैबिनेट में फेरबदल हुआ, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, मनसुख मंडाविया और सर्बानंद सोनोवाल जैसे कई नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया.

* गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के भाषण में अति महत्वाकांक्षी 100 लाख करोड़ रुपये वाली ‘गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान’ की घोषणा करते हुए बताया था कि इस योजना के तहत विभिन्न मंत्रालयों के बीच गतिरोध को खत्म करते हुए औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. इससे एयरपोर्ट, सड़क और रेल यातायात की व्यवस्था में सुधार होगा, तथा युवाओं के लिए उपयुक्त रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से रेल और रोडवेज समेत 16 मंत्रालयों के साथ जोड़ने की स्कीम है.

* आई-टी नियम 2021:

25 फरवरी 2021 को, केंद्र ने नए I-T नियम बनाए. जिससे OTT प्लेटफार्मों और डिजिटल पोर्टलों के लिए शिकायत निवारण प्रणाली बनाना अनिवार्य हो गया. नियमों ने 5 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं वाले बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए हर महीने एक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करना और उनके आधार पर कार्रवाई करना अनिवार्य किया गया. हालांकि, इससे केंद्र और कुछ डिजिटल पोर्टलों के बीच गतिरोध भी पैदा हुआ, उऩका कहना था कि नए नियम ‘अवैध और असंवैधानिक’ थे. हालाँकि केंद्र सरकार नए कानूनों पर अडिग रहा. सोशल मीडिया दिग्गजों, ओटीटी प्लेटफार्मों को उनका पालन करने के लिए कह रहा है. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना था कि भूमि कानून का पालन तो सभी को करना चाहिए.