Wife Drinking Alcohol Divorce Case: पत्नी का शराब पीना क्रूरता नहीं है, जब तक कि वह अनुचित और असभ्य व्यवहार न करे, HC ने तलाक को दी मंजूरी
(Photo : AI)

Wife Drinking Alcohol Divorce Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल शराब पीना क्रूरता नहीं माना जा सकता, जब तक कि इसके बाद असभ्य या अनुचित व्यवहार न हो. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि भारतीय मध्यम वर्गीय समाज में भले ही शराब पीना वर्जित माना जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह अपने आप में क्रूरता बन जाए.

विवाह 2015 में संपन्न हुआ था. इसके बाद पति-पत्नी के बीच विवाद बढ़ते गए. पति का आरोप था कि पत्नी का व्यवहार शादी के बाद बदल गया. उसने पति को माता-पिता को छोड़कर कोलकाता जाने के लिए मजबूर किया. असहमति के बाद पत्नी अपने नाबालिग बेटे के साथ कोलकाता चली गई और पति के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद लौटने से इनकार कर दिया.

 

महत्वपूर्ण बातें 

शराब पीना क्रूरता नहीं: कोर्ट ने कहा, जब तक शराब पीने के बाद असभ्य या अनुचित व्यवहार न हो, इसे क्रूरता नहीं माना जा सकता.

परित्याग का आधार: पत्नी द्वारा जानबूझकर पति की उपेक्षा और अलगाव को "परित्याग" माना गया.

संघर्ष का अंत: कोर्ट ने पति को तलाक की अनुमति देकर विवाद का समाधान किया.

पति ने लखनऊ फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की थी, जिसे पत्नी की अनुपस्थिति में भी खारिज कर दिया गया. कोर्ट ने क्रूरता और परित्याग को साबित न होने का आधार बनाया. इसके बाद पति ने हाईकोर्ट का रुख किया.

हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा शराब पीने का आरोप अपने आप में क्रूरता साबित नहीं करता. साथ ही, यह भी कहा गया कि गर्भावस्था के दौरान शराब पीने के आरोपों को साबित करने के लिए कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं.

हाईकोर्ट ने माना कि पत्नी ने जानबूझकर पति की उपेक्षा की, जिससे यह मामला "परित्याग" की श्रेणी में आता है. कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने फैमिली कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा जारी नोटिस को भी नजरअंदाज किया. हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि पति परित्याग के आधार पर तलाक का हकदार है. कोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच विवाह को सुधार से परे मानते हुए तलाक की मंजूरी दी.