कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने सभी पीड़ितों के केस दर्ज करने के निर्देश डाई है. साथ ही राज्य सरकार को उनका इलाज भी कराने के लिए कहा है. साथ ही कोर्ट ने बीजेपी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार (Abhijeet Sarkar) का दूसरी बार पोस्टमार्टम कोलकाता के कमांड अस्पताल कराने के आदेश दिए है. जबकि हाईकोर्ट ने जादवपुर (Jadavpur) के डीएम, पुलिस प्रमुख / एसपी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है कि क्यों उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं की जाए. पश्चिम बंगाल में हिंसा: कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन लगाने के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को चुनाव के बाद हुई हिंसा से संबंधित सभी दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है. जबकि पश्चिम बंगाल चुनाव बाद हिंसा की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की जांच 13 जुलाई तक बढ़ा दी गई है. इस मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी.
Post poll violence in WB: Calcutta HC passes orders in the matter, orders Police to register all cases of the victims of the violence. State Govt has been directed to ensure medical treatment for all victims & ensure ration for the affected even if they don’t have ration cards. pic.twitter.com/Xb2suXjW2R
— ANI (@ANI) July 2, 2021
एक दिन पहले ही पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा. गुरुवार को देश की शीर्ष कोर्ट ने लखनऊ की वकील रंजना अग्निहोत्री और एक अन्य व्यक्ति की याचिका पर केंद्र, चुनाव आयोग और साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया है.
याचिकाकतार्ओं की दलील है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा 2 मई को विधानसभा चुनाव जीतने के बाद 15 बीजेपी कार्यकतार्ओं या उनके समर्थकों की हत्या कर दी गई और महिलाओं का अपहरण और दुष्कर्म किया गया. याचिका में कहा गया है, 'प्रशासन और पुलिस टीएमसी के उन राजनीतिक कार्यकतार्ओं का समर्थन कर रहे हैं. इस कारण से महिलाओं का जीवन, स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा एवं सम्मान छीना जा रहा है. जैसा कि इस तथ्य से स्पष्ट है कि कई लोगों को नुकसान पहुंचाया गया है, कत्ल किया गया है, बेरहमी से हत्या कर दी गई और लड़कियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया. उनकी सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया.'
याचिका में कहा गया है कि हिंसा, लूट, हत्याओं और आतंक के परिणामस्वरूप, हिंदुओं को सामूहिक रूप से अपने गांव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और यह स्थिति 1990 में कश्मीर से हिंदुओं के सामूहिक पलायन के समान रही है. याचिकाकतार्ओं ने पीड़ितों के लिए मुआवजे की भी मांग की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि बीजेपी का समर्थन करने के बदले में मुसलमानों द्वारा हजारों नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. (एजेंसी इनपुट के साथ)