Uttar Pradesh: मजबूत हिंदू नेता के रूप में उभरे योगी आदित्यनाथ
सीएम योगी आदित्यनाथ (Photo Credits: PIB)

लखनऊ, 18 मार्च : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के योग्य प्रशासक होने के गुण को शायद उनके आलोचक और विपक्षी दल स्वीकार न करें, लेकिन इस बात को कोई नहीं नकार सकता है कि पिछले 4 सालों में यह सन्यासी-राजनेता सबसे मजबूत हिंदू नेता के रूप में उभरा है. मुख्यमंत्री ने हिंदू नेता के रूप में अपनी साख को फिर से मजबूत करने के दौरान वे खुद के फैशन सेकुलर होने की छवि से भी गुरेज नहीं करते हैं. खर हिंदुत्व का झंडा मजबूती से थामने के उनके इरादे का तो उसी समय पता लग गया था, जब उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय संभालने के 2 महीने बाद ही ईद पर ईदगाह जाने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि "मैं एक हिंदू हूं और मैं ईद नहीं मनाता हूं." पिछले 4 सालों के योगी के कार्यकाल की बात करें तो उन्होंने इस समय में एक महत्वपूर्ण काम राज्य में धार्मिक पर्यटन को खासा बढ़ावा देने का किया है. 2017 में उन्होंने दिवाली की पूर्व संध्या पर अयोध्या में 'दीपोत्सव' कार्यक्रम का आयोजन किया और सरयू नदी के तट पर 1.76 लाख मिट्टी के दीये जलाकर एक रिकॉर्ड बनाया था. अब यह आयोजन हर साल होने लगा है और हर गुजरते साल के साथ इसका आकार और भव्यता बढ़ती ही जा रही है.

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने अयोध्या (Ayodhya) के लिए एक बड़ा डेवलपमेंट पैकेज भी घोषित किया है, जिसमें यहां रेलवे स्टेशन का नवीनीकरण करने से लेकर एक नया हवाई अड्डा बनाने तक की योजना शामिल है. इसके बाद नवंबर 2019 में राम मंदिर के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने तो योगी आदित्यनाथ को अयोध्या में काम करने के लिए एक मकसद ही दे दिया. फिर तो उन्होंने इस धार्मिक शहर के लिए विकास परियोजनाओं की झड़ी लगा दी. ना केवल प्रोजेक्ट्स लाने बल्कि उन्हें पूरा करने को लेकर भी वह कितने सजग हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह खुद व्यक्तिगत रूप से इन परियोजनाओं की प्रगति पर नजर रखते हैं. उनकी इच्छा है कि वह अयोध्या को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिहाज से विकसित करें. उनका जोर तो इस बात पर भी है कि राम मंदिर के निर्माण से पहले ही सारी परियोजनाएं पूरी हो जाएं. अयोध्या के अलावा योगी आदित्यनाथ की दूसरी प्राथमिकता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का संसदीय क्षेत्र वाराणसी रहा. इस धार्मिक केंद्र को भी योगी ने जमकर तवज्जो दी. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण, घाटों के जीर्णोद्धार से लेकर विरासतों से समृद्ध इस शहर के सौंदर्यीकरण का काम जोरों पर है और इनके अगले विधानसभा चुनाव से पहले ही पूरा होने की संभावना है. यह भी पढ़ें : West Bengal Assembly Elections 2021: भाजपा, टीएमसी के लिए ‘हॉट केक’ बने बंगाल के सेलिब्रिटीज

वहीं प्रयागराज में 2019 में योगी सरकार (Yogi Sarkar) ने जिस भव्यता से अर्ध कुंभ का आयोजन किया, उसे देखते हुए उसे कुंभ कहना ही सही होगा. इसके लिए प्रयागराज में और प्रयागराज मेला प्राधिकरण की स्थापना की गई. इस आयोजन की भव्यता ने पूरी दुनिया का ध्यान इस ओर खींचा और जाहिर है इसने राज्य सरकार का दामन भी सराहनाओं से भर दिया. योगी आदित्यनाथ ने राधा-कृष्ण की भूमि मथुरा-वृंदावन के विकास को सुनिश्चित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने इसके लिए बृज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद की स्थापना की. मुख्यमंत्री ने पांचों तीर्थों के विकास के लिए नैमिषारण्य तीर्थक्षेत्र विकास परिषद, विंध्य तीर्थक्षेत्र विकास परिषद, शुक्राधाम तीर्थ विकास परिषद, चित्रकूट तीर्थक्षेत्र विकास परिषद और देवीपाटन तीर्थ विकास परिषद भी बनाए.भले ही हिंदू तीर्थस्थलों के विकास पर ध्यान देना योगी की योजनाओं का अहम हिस्सा रहा, लेकिन उन्होंने अन्य धर्मक्षेत्रों की भी अनदेखी नहीं की है. एक ओर जहां बौद्धों के आस्था के केंद्र श्रावस्ती, कपिलवस्तु और कुशीनगर को विकसित किया जा रहा है, तो हस्तिनापुर सहित महाभारत से जुड़े अन्य स्थलों का भी मेकओवर किया जा रहा है. यह भी पढ़ें : Vehicle Scraping Policy: वाहन स्क्रैपिंग नीति से सड़क सुरक्षा में सुधार होगा, प्रदूषण एवं ईंधन खपत में कमी आयेगी : गडकरी

हिंदू धर्मस्थलों के लिए पानी की तरह पैसा बहाने और जीजान से काम करने की उनकी छवि, उनके बयानों और रवैये ने उनकी छवि हिंदुत्ववादी मुख्यमंत्री की बना दी है. इस सबने उनकी लोकप्रियता को इस कदर बढ़ा दिया है कि हिंदुत्व के प्रतीक के रूप में वे केरल से लेकर पश्चिम बंगाल तक के स्टार प्रचारक बन गए हैं. गैर-हिंदी भाषी राज्यों में किए गए अपने सभी चुनावी अभियानों में योगी आदित्यनाथ के 'जय श्री राम' के साथ अपने भाषण की शुरुआत और अंत करने के अंदाज को भीड़ ने न केवल पसंद किया, बल्कि उसका जबाव भी पूरे उत्साह से दिया. जाहिर है योगी की यह लोकप्रियता केवल उनके राजनीतिक करियर के लिए नहीं बल्कि पूरी भाजपा के लिए एक वरदान है. उनकी इस छवि ने पार्टी के एक ऐसे अजेय नेता के रूप में स्थापित कर दिया है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है.