लखनऊ, 28 जून: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए और छिपे मामलों का पता लगाने को लेकर स्क्रीनिंग के लिए सभी 75 जिलों में 'डोर-टू-डोर' (घर-घर जाना) सर्वे शुरू करने का निर्णय लिया है. स्वास्थ्य टीमें गर्भवती महिलाओं, पहले से कैंसर, गुर्दा रोग या मधुमेह से जूझ रहे लोगों, बुजुर्गों और 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों सहित कमजोर व्यक्तियों की मैपिंग करेंगी.
हालांकि यह अभ्यास हाल ही में दिल्ली में शुरू किए गए अभियान के समान है, लेकिन उत्तर प्रदेश में मॉडल को अमल में लाना एक बहुत बड़ा काम है, राज्य की आबादी 23 करोड़ से अधिक है. अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य, अमित मोहन प्रसाद के अनुसार, "अभियान 1 जुलाई को मेरठ मंडल से शुरू होगा और स्वास्थ्य अधिकारी 5 जुलाई से अन्य जिलों में जाएंगे."
यह भी पढ़ें: पीएम मोदी 11 बजे करेंगे सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान’ का शुभारंभ
उन्होंने कहा कि अभियान की शुरूआत मेरठ से होगी क्योंकि जिले में फैले कोरोना पर अंकुश लगाने की तत्काल आवश्यकता है. उन्होंने कहा, "पिछले 24 घंटे में सामने आए 47 प्रतिशत से अधिक मामले मेरठ मंडल के हैं." मेरठ मंडल में गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद जिले शामिल हैं, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का भी एक हिस्सा हैं और जहां मामलों में उछाल देखा गया है. मेरठ, हापुड़ और बुलंदशहर में भी इस महीने में कोरोना मामलों में वृद्धि दर्ज हुई है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों को लगता है कि मानसून की शुरुआत से इन्फ्लूएंजा और संक्रमण जैसी अन्य बीमारियों में तेजी आ सकती है और इससे संकट बढ़ सकता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही राज्य भर में निगरानी बढ़ाने के लिए एक लाख टीमों का गठन करने का आदेश दिया था. स्वास्थ्य टीमें जागरूकता पैदा करने और जानकारी जुटाने के लिए हर दरवाजे पर दस्तक देंगी.