Uttar Pradesh: सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा-आयुष पद्धति में है भारत को हेल्थ टूरिज्म का हब बनाने का सामथ्र्य
CM Yogi (Photo Credit : Twitter)

वाराणसी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी (Varanasi) पहुंचे. सीएम ने यहां वाराणसी और चंदौली (Chandauli) जिले की सीमा पर स्थित पड़ाव के पास अघोरेश्वर भगवान राम (Aghoreshwar Lord Ram) के आश्रम में अघोरेश्वर भगवान राम योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (Naturopathy Research Center) का उद्घाटन किया. कहा कि आज पूरी दुनिया हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति को अपना रही है. आयुष पद्धति में भारत (India) को हेल्थ टूरिज्म (Health Tourism) का हब बनाने का सामथ्र्य है.

योगी ने कहा कि अगर धार्मिक संस्थाएं भागीदार बनें तो आयुष का ये क्षेत्र नई गति के साथ नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा. Ranchi: बैंक मैनेजर ने वृद्ध मां की पीट-पीट कर ले ली जान, पत्नी सहित गिरफ्तार

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क से ही समर्थ और सशक्त राष्ट्र का निर्माण होगा. इसके लिए भारत की प्राचीन और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति सबसे ज्यादा प्रभावी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले हम सुना करते थे कि लोग उपचार कराने दुनिया के विकसित देशों में जाया करते थे.  मगर आज पूरी दुनिया प्राचीन भारतीय ज्ञान और परंपरा में बेहतर स्वास्थ्य की संभावना तलाश रही है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज स्वामी विवेकानंद जी की पावन जयंती भी है. भारत के सनातन हिन्दू धर्म, वेद और दर्शन से दुनिया को अवगत कराने वाले स्वामी विवेकानंद का जन्म हम राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं. इस अवसर पर इस पुनीत धाम और अघोरेश्वर बाबा की इस पावन धरती पर इस पवित्र कार्यक्रम से जुड़ने का अवसर मिला है.

अघोरेश्वर भगवान राम की इस पवित्र परंपरा के साथ ही सदैव जिनका सानिध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ था, उन पूज्य माता जी का कल महापरिनिर्वाण दिवस भी है. उसकी पूर्व संध्या पर भगवान अघोरेश्वर राम की स्मृति में यहां भव्य आयुष भवन आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का नया केंद्र बनने जा रहा है. इसके भव्य उद्घाटन के साथ हमें जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ है.

कहा कि भारत की शैव परंपरा में अघोर परंपरा साधना की एक ऐसी प्रकृति है जो अगर आध्यात्मिक ²ष्टि से देखें तो जगत में रहकर परमात्मा के साथ संबंध जोड़ती है और व्यवहारिक ²ष्टि से देखें तो समाज को एक सूत्र में जोड़ करके सामाजिक न्याय की धारणा का साक्षात उदाहरण प्रस्तुत करती है.

अघोरेश्वर बाबा कीनाराम के द्वारा जिस अघोर परंपरा को नया जीवन दिया गया, उसे अघोरेश्वर भगवान राम ने नई ऊंचाई देने का कार्य किया. हम सब इस बात को महसूस करते हैं कि वाराणसी-चंदौली सीमा पर गंगातट पर पड़ाव और उसके आसपास के क्षेत्र में दीन दु:खियों, कुष्ट रोगियों, निराश्रित बच्चों के लिए सवेश्वरी समूह सेवा का जैसा उदाहरण प्रस्तुत कर रही है वो न सिर्फ अद्भुत है बल्कि अनुकरीणीय भी है. अघोर परंपरा ने समाज में हर प्रकार के भेदभाव को दूर करके समतामूलक समाज के निर्माण में अपना योगदान दिया है.