मैनपुरी: देश अंग्रेजों से 1947 में आजाद हो गया था, लेकिन अपनी दकियानूसी सोच और गलत धारणा से हम अभी तक आजाद नहीं हो सके हैं. देश में आज भी जाति के नामपर जो भेदभाव होता है वह एक कड़वा सच है. अंतरिक्ष तक भारत अपनी उड़ान मजबूत कर चुका है, लेकिन पिछड़ी सोच अभी भी हम सब हावी है. ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मैनपुरी (Mainpuri) का है. मैनपुरी जिला के दाउदपुर सरकारी प्राथमिक स्कूल में 80 बच्चे पढ़ते हैं, इसमें 60 अनुसूचित जाति से हैं. ऐसे में इस स्कूल की जो सच्चाई सबके सामने आई है, वह हैरान करने वाली है. Uttar Pradesh: पुश्तैनी संपत्ति पर कब्जे के लिए 20 साल में परिवार के पांच सदस्यों की हत्या का आरोपी गिरफ्तार.
स्कूलों में ही सिखाया जाता है कि हम सभी समान है, लेकिन अगर स्कूल ही जाति के जंजाल को फैलाने लगे फिर क्या? दरअसल इस स्कूल में अनुसूचित जाति के बच्चे मिड-डे मील के लिए जिन बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अलग रखा जाता है. साथ ही इन बर्तनों को भी ये बच्चे खुद धोते थे. इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया.
अधिकारी जब इस स्कूल के दौरे पर पहुंचे तो शुक्रवार को यहां की प्रधानाध्यापिका गरिम राजपूत को निलंबित कर दिया गया. साथ ही दो खाना बनाने वालों को भी हटाया गया, जिन्होंने कहा था कि वे इन बच्चों के बर्तन नहीं छू सकते हैं.
मैनपुरी बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कमल सिंह ने कहा कि नवनिर्वाचित सरपंच मंजू देवी के पति द्वारा स्कूल में की गई जातिगत भेदभाव की शिकायत को सही पाया गया है. उन्होंने कहा, "हमें बुधवार को इस बारे में शिकायत मिली और निरीक्षण के लिए एक टीम को स्कूल भेजा गया. जहां अनुसूचित जाति के बच्चों और अन्य बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन अलग-अलग रखे गए थे."
प्रखंड विकास पदाधिकारी व अन्य पदाधिकारियों ने विद्यालय का दौरा किया. दौरे के दौरान, रसोइया सोमवती और लक्ष्मी देवी ने अनुसूचित जाति के छात्रों के बर्तनों को छूने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया तो वे स्कूल में काम नहीं कर सकती. उन्होंने जातिसूचक टिप्पणी भी की.