नई दिल्ली: नए तीनों कृषि कानून को लेकर किसानों (Farmers) के आंदोलन को लेकर पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के मुद्दे पर जल्द से जल्द विचार यदि नहीं करेगी उनका आंदोलन पूरे देश में फैल सकता हैं. शरद पवार किसानों के मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति शरद पवार से मुलाकात के साथ ही कृषि कानूनों में बड़े सुधार की बात कहा. लेकिन शरद पवार जब कृषि मंत्री थे इस समय उन्होंने कृषि कानूनों में बड़े सुधार की वकालत की थी. शरद पवार उस समय राज्य के कई मुख्यमंत्रियों को लिखा था. उस पत्र को वायरल होने के बाद मोदी सरकार में मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पूर्व कृषि मंत्री पवार को घेरने की कोशिश की हैं,
केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने कहा कि 'शरद पवार जब देश के कृषि और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे तो उन्होंने देश के सारे मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी. जिसमें उन्होंने लिखा था कि मंडी एक्ट में बदलाव जरूरी है, प्राइवेट सेक्टर का आना जरूरी है. प्रसाद ने कहा कि शरद पवार ने सन् 2005, 2007, 2010 और 2011 में कई राज्यों की सरकार को इस मामले पत्र भी लिखे थे. जिसमें उन्होंने कृषि कानूनों में बड़े सुधार की वकालत की थी. यह भी पढ़े: Farmers Protest: कृषि कानून को लेकर किसानों का आंदोलन, NCP प्रमुख शरद पवार 9 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से करेंगे मुलाकात
Sharad Pawar is also opposing the new farm laws. But when he was agriculture minister, he wrote to all CMs for 'private sector participation' in market infrastructure: Union Minister RS Prasad pic.twitter.com/vnoztGEdZo
— ANI (@ANI) December 7, 2020
केंद्रीय मंत्री प्रसाद ने कहा कहा पूर्व मंत्री के पत्र में इतना ही नहीं जिस APMC को लेकर अभी बवाल मचा हुआ है, शरद पवार 2010 में ही APMC एक्ट में बदलाव की वकालत कर रहे थे. शरद पवार ने 11 अगस्त 2010 को लिखे पत्र में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को इस बाबत पूर्व में लिखे गए 25 मई 2005 और 12 मई 2007 के पत्रों की भी याद दिलाई थी. इसी तरह का एक पत्र शरद पवार ने नवंबर 2011 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को भी लिखा था. शिवराज से भी उन्होंने एपीएमसी एक्ट में बदलाव की वकालत की थी. तब उन्होंने सरकारी मंडियों के अलावा प्राइवेट प्रतियोगी बाजार की जरूरत बताई थी.
किसानों के आंदोलन को समर्थन में दिए बयान के बीच शरद पवार की वायरल चिट्ठी पर मचे घमासान के बाद अब पार्टी की सफाई आई है. एनसीपी प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि मॉडल APMC ऐक्ट 2003 में पूर्व पीएम वाजपेयी सरकार लेकर आई थी. उस समय कई राज्य इसे लागू करने के मूड में नहीं थे. इसके बाद जब पवार कृषि मंत्री बने तो उन्होंने इसी ऐक्ट पर आम सहमति बनाकर राज्यों के सामने पेश किया था.