महाकुंभ 2025 में सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा. पहली बार, उत्तर प्रदेश में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 100 मीटर पानी के अंदर और 120 मीटर ऊपर तक निगरानी करने वाले ड्रोन तैनात किए जाएंगे. इस महाकुंभ में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है.
महाकुंभ 2025, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच आयोजित होगा, में संगम क्षेत्र में पानी के अंदर ड्रोन और आसमान में टेथर्ड ड्रोन का उपयोग किया जाएगा. ये तकनीकें राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान सफलतापूर्वक इस्तेमाल की जा चुकी हैं.
पानी के अंदर निगरानी
- हाल ही में लॉन्च किए गए हाई-स्पीड अंडरवॉटर ड्रोन 100 मीटर गहराई तक काम कर सकते हैं और कम रोशनी में भी प्रभावी निगरानी प्रदान करते हैं.
- ये ड्रोन किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सटीक जानकारी एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र (ICCC) को रियल-टाइम में भेज सकते हैं.
आसमान से सुरक्षा
- टेथर्ड ड्रोन जमीन से जुड़े पावर स्रोत के कारण लंबे समय तक लगातार निगरानी करने में सक्षम हैं.
- हाई-डेफिनिशन कैमरों से लैस ये ड्रोन मेले क्षेत्र और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों जैसे रेलवे स्टेशन, बस टर्मिनल, और हवाई अड्डे पर भीड़ प्रबंधन में मदद करेंगे.
एंटी-ड्रोन सिस्टम
एंटी-ड्रोन सिस्टम रडार के माध्यम से अज्ञात हवाई वस्तुओं की पहचान करता है. किसी भी संभावित खतरे की स्थिति में, हाई-रेजोल्यूशन ऑप्टिकल सेंसर ड्रोन के इरादे का मूल्यांकन करते हैं। यदि आवश्यक हो, तो रेडियो फ्रीक्वेंसी जाम कर ड्रोन को निष्क्रिय किया जा सकता है.
अतिरिक्त सुरक्षा इंतजाम
- 700 से अधिक नौकाएं PAC, NDRF और SDRF कर्मियों के साथ तैयार रहेंगी.
- रिमोट-कंट्रोल लाइफ बॉयज़ की भी तैनाती की जाएगी.
- AI सक्षम कैमरे भीड़ के मूवमेंट का विश्लेषण करेंगे और भीड़भाड़ को रोकने के उपाय सुझाएंगे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्देश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ को वैश्विक स्तर पर सुरक्षा के लिए मिसाल बनाने के निर्देश दिए हैं. सुरक्षा में अत्याधुनिक तकनीकों के साथ पारंपरिक आयोजन की भावना को भी बनाए रखने पर जोर दिया गया है.
महाकुंभ 2025 न केवल एक आध्यात्मिक आयोजन है, बल्कि सुरक्षा और प्रबंधन की दृष्टि से भी एक बड़ी चुनौती है. इन अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग से महाकुंभ को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने की दिशा में यह एक अहम कदम है.