लोकसभा में भारी हंगामे के बीच पेश हुआ तीन तलाक बिल,  रविशंकर प्रसाद ने कहा- सवाल सियासत या इबादत का नहीं बल्कि नारी के न्याय का है
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (Photo Credit- ANI)

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश कर दिया है. इसी के साथ ही सदन में हंगामा भी शुरू गया है. विपक्षी दलों ने इसकी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए विरोध किया. विपक्षी पार्टियां आपराधिक प्रावधान का विरोध कर रही हैं. स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि मंत्री सिर्फ बिल पेश करने की अनुमति मांग रहे हैं और किसी सदस्य की आपत्ति है तो फिर मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं. इसके बाद हंगामे के बीच रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश किया.

17वीं लोकसभा के गठन के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला बिल है. सरकार के पिछले कार्यकाल में भी तीन तलाक पर बिल लाया गया था लेकिन यह राज्यसभा से पास नहीं हो पाया था. मोदी सरकार के इस बिल को एक तरफ समर्थन मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर इसका विरोध भी किया जा रहा है.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने पिछली सरकार में इस बिल को लोकसभा से पारित किया था लेकिन राज्यसभा में यह बिल पेंडिंग रह गया था. उन्होंने कहा कि संविधान की प्रक्रियाओं के अनुसार हम बिल को फिर से लेकर आए हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत के संविधान में कहा गया है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता, इसलिए यह संविधान के खिलाफ कतई नहीं है बल्कि उनके अधिकारों से जुड़ा हैं.

रविशंकर प्रसाद ने कहा यह सवाल सियासत या इबादत का नहीं बल्कि नारी न्याय का सवाल है. जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है और कोई लोकसभा को अदालत न बनाए.

असदुद्दीनओवैसी ने किया विरोध

असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी, सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी क्यों है, केरल की हिन्दू महिलाओं की चिंता सरकार क्यों नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया है. इस बिल के बाद जो पति जेल जाएंगे उनकी पत्नियों का खर्चा क्या सरकार देने के लिए तैयार है.

बता दें कि पिछले साल दिसंबर में यह बिल लोकसभा में पास हो गया था. पत्नी को इंस्टेंट तीन तलाक देने वाले मुस्लिम शख्स को तीन साल सजा का प्रावधान इस बिल में है. लेकिन राज्यसभा में संख्याबल कम होने के कारण बिल पास नहीं हो पाया. विपक्षी पार्टियों की मांग थी कि इसे पुनरीक्षण के लिए संसद की सिलेक्ट कमिटी को भेजा जाए. लेकिन सरकार ने यह मांग खारिज कर दी.