नई दिल्ली, 30 जुलाई : विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई चर्चा के दौरान कहा, “हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह सिद्ध किया कि ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का ही एक मुखौटा है. संयुक्त राष्ट्र ने हमारे इस पक्ष को मान्यता दी है और अमेरिका ने टीआरएफ को आधिकारिक तौर पर आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है. यह हमारी कूटनीतिक सफलता है. खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते."
गौरतलब है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ के आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या की थी, जिसके बाद भारत ने आतंकवादियों के खात्मे के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. विदेश मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि भारत किसी मध्यस्थता के लिए खुला नहीं, साथ ही भारत परमाणु धमकी भी स्वीकार नहीं करेगा. यह भी पढ़ें : उच्च न्यायालय में सुनवाई से पहले माइक्रोसॉफ्ट ने नायरा की सेवाएं कीं बहाल
ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए जयशंकर ने स्पष्ट किया कि, “हमने दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत किसी भी तरह की मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं है, और हम किसी प्रकार की परमाणु ब्लैकमेलिंग भी स्वीकार नहीं करेंगे.” उन्होंने सिंधु जल संधि का भी जिक्र किया. विदेश मंत्री ने कहा, “पाकिस्तान के साथ की गई सिंधु जल संधि तब के प्रधानमंत्री द्वारा शांति के लिए नहीं, बल्कि तुष्टीकरण के उद्देश्य से की गई थी.”
जयशंकर ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि, “60 वर्षों तक हमें बताया गया कि कुछ नहीं हो सकता, पंडित नेहरू की गलती सुधारी नहीं जा सकती. लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने यह साबित कर दिया कि गलती सुधारी जा सकती है. धारा 370 को हटाया गया, और अब सिंधु जल संधि पर भी पुनर्विचार किया जा रहा है. जब तक पाकिस्तान आतंकवाद से अपनी नीतिगत प्रतिबद्धता को नहीं छोड़ता, तब तक यह संधि स्थगित रखी गई है.”
उन्होंने सदन में कहा कि, “हमने पहले ही कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. आज हम करके दिखा रहे हैं कि जो हम कहते हैं, वही हम करते हैं. आज मोदी सरकार के प्रयासों से आतंकवाद आज वैश्विक एजेंडे में है.” जयशंकर ने राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए कहा कि आज आतंकवाद को वैश्विक एजेंडे में लाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को जाता है. उन्होंने कहा कि हमने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल की प्रक्रिया के जरिए पाकिस्तान पर भारी दबाव बनाया है.
विदेश मंत्री ने सदन में कहा कि वर्ष 2006-08 में देश पर हुए आतंकी हमलों के बाद भारत की कमजोर प्रतिक्रिया को दुनिया ने देखा. जयशंकर ने विपक्ष की पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा, “वर्ष 2007 में हैदराबाद में 44 लोग मारे गए. 2008 में मुंबई हमला हुआ, 64 लोग जयपुर में मारे गए. मैं दिल्ली से हूं, मुझे 2008 के बम धमाके याद हैं. दुनिया ने देखा है कि भारत ने ऐसे हमलों के बाद कैसे प्रतिक्रिया दी थी. 2006 में मुंबई ट्रेन बम विस्फोट के तीन महीने बाद ही हम हवाना में पाकिस्तान के साथ बैठे थे. यहां हमने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने की बजाय कहा—हम सभी तरह के आतंकवाद की निंदा करते हैं. साथ ही फिर समग्र संवाद बहाल करने की बात भी की थी.” विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि अब सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद नहीं कर देता. उन्होंने मोदी सरकार के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि खून और पानी अब एक साथ नहीं बहेंगे.
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान, विदेश मंत्री ने कहा कि सिंधु जल संधि कई मायनों में एक अनूठा समझौता है. उन्होंने कहा कि वे दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं सोच सकते जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को बिना अधिकार के दूसरे देश में बहने दिया हो. इसलिए सिंधु जल संधि एक असाधारण समझौता था. अब जब हमने इसे स्थगित कर दिया है, तो इस घटना के इतिहास को याद करना महत्वपूर्ण है. कुछ लोग इतिहास से असहज हैं. वे लोग चाहते हैं कि ऐतिहासिक चीजों को भुला दिया जाए. शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता; वे केवल कुछ चीजों को याद रखना पसंद करते हैं.













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