मुंबई, 26 अगस्त: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में करीब 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में भी ये रफ्तार बरकरार रहेगी. Robot With Emotions: इस अनोखे रोबोट में है ‘दिल’! समझ जाता है भावनाएं, तमिलनाडु के 13 वर्षीय छात्र ने किया ये कमाल
सीतारमण ने यहां एफई बेस्ट बैंक अवार्ड कार्यक्रम में कहा, ‘‘गतिविधियों के आधार पर अनुमान बताते हैं कि हम निश्चित रूप से इस स्तर पर रहेंगे... 7.4 (प्रतिशत) और यह स्तर अगले साल भी जारी रहेगा.’’
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और अन्य संस्थानों के वृद्धि पूर्वानुमानों का जिक्र किया.
सीतारमण ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक ने अगले दो वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर सबसे तेज रहने का अनुमान जताया है और उनका अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से भी मेल खाता है.
वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक स्थिति लगातार चुनौतीपूर्ण बनी हुई है और अभी हालात को लेकर सावधान रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि निर्यात क्षेत्र को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि वैश्विक वृद्धि धीमी हो गई है. सरकार इन संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेगी, ताकि वे विपरीत परिस्थितियों का सामना कर सकें.
सीतारमण ने कहा कि मुफ्त के उपहारों को लेकर एक ठोस बहस की जरूरत है. साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव से पहले वादे करने वाले राजनीतिक दलों को खर्चों का ध्यान रखने के लिए बजटीय प्रावधान करना चाहिए, न कि अन्य संस्थाओं पर बोझ डालना चाहिए.
वित्त मंत्री ने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों और उत्पादन कंपनियों को इस तरह की मुफ्त सुविधाओं का खामियाजा भुगतना पड़ा है. निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि उच्च कर संग्रह उद्योग द्वारा स्थापित नए निवेश और विनिर्माण इकाइयों की स्थापना की ओर संकेत देता है. कुछ लोगों का मानना है कि निजी निवेश अपेक्षा से कम है.
वित्त मंत्री ने कहा कि नए निवेश के बिना कर संग्रह नहीं बढ़ सकता है और उन्होंने कॉरपोरेट क्षेत्र से इस पहलू को अधिक स्पष्ट करने को कहा. उन्होंने केंद्र के उपकर और अधिभार के जरिए राजस्व छीनने की कहानी को भी खारिज किया.
सीतारमण ने कहा कि केंद्र द्वारा एकत्र किया गया उपकर आखिरकार राज्यों में ही स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खर्च किया जाता है. उन्होंने दावा किया कि केंद्र किसी विशेष राज्य में इस तरह के उपकर और अधिभार के जरिए जमा किए गए धन से अधिक खर्च करता है.
कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू की गई मुफ्त खाद्यान्न वितरण पहल को जारी रखने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में फैसला करेगी. इस योजना की समयसीमा सितंबर में खत्म हो रही है.
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