संयुक्त राष्ट्र, 15 दिसंबर: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को बताया कि “आतंकवाद का सामयिक केंद्र” अब भी बेहद सक्रिय है. Agni 5 Missile: भारत ने अग्नि-5 मिसाइल का किया नाइट ट्रायल, चीन-PAK से लेकर आधी दुनिया तक हमला कर सकता है ये हथियार
उन्होंने चीन को परोक्ष रूप से कठघरे में खड़ा करते हुए इस बात को लेकर अफसोस भी व्यक्त किया कि आतंकवादियों को काली सूची में डालने के लिये साक्ष्य समर्थित प्रस्तावों को पर्याप्त कारण बताए बिना रोक दिया जाता है.
‘यूएनएससी ब्रीफिंग: ग्लोबल काउंटर टेररिज्म अप्रोच: चैलेंज एंड वे फॉरवर्ड’ की अध्यक्षता करते हुए जयशंकर ने आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक संभावित खतरा बताया और कहा कि यह (आतंकवाद) कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं जानता.
उन्होंने अपने संबोधन में 15 सदस्यीय परिषद से कहा, “आतंकवाद का खतरा वास्तव में और भी गंभीर हो गया है. हमने अल-कायदा, दाएश, बोको हराम और अल शबाब और उनके सहयोगियों का विस्तार देखा है.”
जयशंकर ने कहा कि “विस्तार के दूसरे छोर पर ऑनलाइन कट्टरता और पूर्वाग्रहों से प्रेरित ‘लोन वुल्फ’ (अकेले सदस्य द्वारा किया जाने वाला हमला) हमले हैं. लेकिन इस सब में कहीं न कहीं हम यह नहीं भूल सकते कि पुरानी आदतें और स्थापित नेटवर्क अब भी जीवित हैं, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में. अप्रिय वास्तविकताओं की चमक को कम करने के लिए चाहे जितनी बातें की जाएं,आतंकवाद का समकालीन केंद्र बहुत सक्रिय रहता है.
वह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का जिक्र कर रहे थे, जिस पर उसके पड़ोसियों ने आतंकवादियों को शरण देने और अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और तालिबान जैसे कई आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा, “आतंकवादियों पर पाबंदी लगाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए समान मानदंड लागू नहीं होते हैं. कभी-कभी ऐसा लगता है कि आतंकवाद का स्वामित्व उसके वास्तविक अपराध या उसके परिणामों से अधिक महत्वपूर्ण है.”
उन्होंने कहा, “प्रासंगिक तंत्रों की कार्य पद्धति भी वैध चिंता और बहस का विषय है. एक स्तर पर, हमने ऐसे संरक्षण देखे हैं जो औचित्य के करीब आते हैं. फिर, कुछ ऐसे मौके आते हैं जहां साक्ष्य-समर्थित प्रस्ताव होते हैं लेकिन उन्हें पर्याप्त कारण बताए बिना रोक दिया जाता है. इसके विपरीत, नाम न जाहिर किए जाने का भी सहारा लिया गया है ताकि अपुष्ट मामलों का स्वामित्व लेने से बचा जा सके.”
उनकी टिप्पणी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति में वीटो-शक्ति वाले स्थायी सदस्य चीन द्वारा पाकिस्तान की धरती पर स्थित आतंकवादियों को काली सूची में डालने के भारत के प्रस्तावों पर बार-बार बाधित करने और रोके जाने का एक मजबूत संदर्भ था. जयशंकर ने कहा, “हम फिर से ‘न्यूयॉर्क के 9/11’ या ‘मुंबई के 26/11’ को दोहराने नहीं दे सकते.”
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