शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा कि यह कदम बच्चों में पढ़ाई का स्तर सुधारने के मकसद से उठाया है. नए नियमों का उद्देश्य छात्रों के सीखने के स्तर में सुधार लाना है.
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केंद्र सरकार ने खत्म किया 'नो डिटेंशन पॉलिसी
The Union Education Ministry has taken a big decision and abolished the 'No Detention Policy'.
Students who fail the annual examination in classes 5 and 8 will be failed. Failed students will have a chance to retake the test within two months, but if they fail again, they will… pic.twitter.com/MK8MC1iJ0a
— DD News (@DDNewslive) December 23, 2024
विरोध और समर्थन
गुजरात, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक और दिल्ली जैसे कई राज्यों ने इसे लागू करने का निर्णय लिया है. वहीं, केरल जैसे कुछ राज्य इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि नियमित परीक्षा से छात्रों पर दबाव बढ़ेगा, जिससे ड्रॉपआउट दर में वृद्धि हो सकती है. केरल का तर्क है कि बच्चों पर दबाव डालने के बजाय शिक्षकों के प्रशिक्षण और कमजोर छात्रों को अतिरिक्त सहायता देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
पॉलिसी में बदलाव की वजह
2009 में लागू "नो-डिटेंशन पॉलिसी" का उद्देश्य यह था कि कोई भी बच्चा, विशेष रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले, परीक्षा में फेल होने की वजह से पढ़ाई न छोड़े. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि इस नीति से छात्रों में पढ़ाई के प्रति गंभीरता कम हो गई. छात्रों को बिना पर्याप्त ज्ञान के अगली कक्षा में भेजा जाता रहा, जिससे वे उच्च स्तर की परीक्षाओं में असफल हो रहे थे.