
तेलंगाना के श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल में फंसे आठ मजदूरों को बचाने के लिए लगातार 72 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है, लेकिन अब तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है. बचाव दलों को टनल के अंदर 40-50 मीटर की दूरी तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है और मजदूरों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है. भारतीय सेना, SDRF, NDRF और अन्य एजेंसियां पूरी ताकत से अभियान चला रही हैं, लेकिन हालात बेहद चिंताजनक बने हुए हैं.
उत्तराखंड की सिल्क्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बचाने वाली रैट माइनर्स की टीम भी अब इस रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़ गई है. शनिवार को सुरंग की छत गिरने के कारण फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए अंतिम 40 मीटर की दूरी तय करने के लिए मशीनरी तैनात की जा रही है.
इस टनल हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. 72 घंटे बीतने के बाद भी कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिला है, जिससे मजदूरों के परिवार बेहद चिंतित हैं.
पॉइंट्स में समझिए कैसे चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन
- टनल के भीतर फंसे मजदूरों से अभी तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है. रेस्क्यू टीमें लगातार कीचड़ और पानी हटाने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन 40-50 मीटर की दूरी तय करना अब तक संभव नहीं हो पाया है.
- जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) और नेशनल जियोग्राफिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) के विशेषज्ञों को राज्य सरकार ने मदद के लिए बुलाया है. इसके अलावा L&T के विशेषज्ञ भी मौके पर मौजूद हैं.
- फंसे मजदूरों में से चार झारखंड के हैं. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर प्रत्येक मजदूर के परिवार के एक सदस्य को तेलंगाना भेजा गया है.
- उत्तराखंड के सिल्कयारा टनल रेस्क्यू में अहम भूमिका निभाने वाली 'रैट माइनर्स' टीम को भी बुलाया गया है. यह टीम बेहद संकरी जगहों में खुदाई कर मजदूरों तक पहुंचने में माहिर मानी जाती है.
- टनल में मलबा इतना ज्यादा है कि बचाव दलों को आगे बढ़ने में कठिनाई हो रही है. इसलिए एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरे लगाए गए हैं ताकि अंदर की स्थिति का पता लगाया जा सके. NDRF का डॉग स्क्वायड भी बचाव कार्य में लगा हुआ है.
- फंसे हुए मजदूरों में दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और चार लेबर शामिल हैं. इनमें उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार और श्री निवास, जम्मू-कश्मीर के सनी सिंह, पंजाब के गुरप्रीत सिंह, झारखंड के संदीप साहू, जेगटा एक्स, संतोष साहू और अनुज साहू शामिल हैं.
- टनल के अंदर पानी और कीचड़ की मात्रा ज्यादा है, जिससे स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है. बचाव दल टनल में ऑक्सीजन पंप कर रहा है ताकि मजदूरों को जीवित रखने की कोशिश की जा सके.
- तेलंगाना सरकार के मंत्री जे. कृष्ण राव ने कहा कि मजदूरों के जीवित बचने की संभावना बेहद कम है. उनके मुताबिक, टनल के 9 मीटर डायमीटर में से 25 फीट तक कीचड़ भर चुका है. जब रेस्क्यू टीम ने मजदूरों को आवाज लगाई, तो कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
- नागरकुरनूल जिले के कलेक्टर बी. संतोष मौके पर बचाव कार्य की निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि टीमें पूरी कोशिश कर रही हैं, लेकिन मलबे की वजह से तेजी से आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है.
- अगर मलबा हटाने में तेजी नहीं आई, तो बचाव अभियान को दूसरी रणनीतियों से आगे बढ़ाया जाएगा.
हादसे की वजह टनल के कमजोर हिस्से का अचानक ढह जाना माना जा रहा है. बचाव कार्य को तेज करने के लिए नई तकनीक और विशेष उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है. देशभर की निगाहें इस बचाव अभियान पर टिकी हुई हैं.