नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि राज्यों को कोरोना के लिए समर्पित अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के बारे में कदम उठाने चाहिए, जहां कोरोनावायरस रोगियों का इलाज किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल का हवाला भी दिया, जहां सभी वाडरें में सीसीटीवी लगाए गए हैं. न्यायाधीश अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एम. आर. शाह की पीठ ने कहा कि सभी वाडरें में सीसीटीवी कैमरे लगाना एक स्वागत योग्य कदम है. पीठ ने कहा कि इससे न केवल अस्पताल प्रबंधन को रोगियों की उचित देखभाल के लिए आवश्यकताओं का पता लगाने में मदद मिलेगी, बल्कि रोगी की देखभाल में पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी.
देश में कोरोना के इलाज में फैली अव्यवस्था और बीमारी से मरने वाले लोगों को गरिमापूर्ण तरीके से न रखे जाने पर खुद ही संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनवाई शुरू की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों को कोरोना के मरीजों की उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए अस्पतालों के निरीक्षण को लेकर विशेषज्ञों की समिति गठित करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि विशेषज्ञों की एक टीम को अस्पतालों का दौरा करना चाहिए। सुधारात्मक कार्रवाई होनी चाहिए. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रोगी की देखभाल और शवों को संभालने में हो रही खामियों को दूर किया जाना चाहिए. यह भी पढ़े: केजरीवाल सरकार का बड़ा फैसला, PWD से 24 घंटे के भीतर कोविड-19 वार्डों में सीसीटीवी कैमरे लगाने को कहा
शीर्ष अदालत ने कहा कि कोरोना वायरस के परीक्षणों के लिए उचित दर तय की जानी चाहिए और देशभर में इस संबंध में एकरूपता होनी चाहिए.अदालत ने यह भी कहा कि सभी वाडरें में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं. इसके साथ ही हर अस्पतालों की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अपने यहां लगे सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखे और निरीक्षण के लिए आने वाले विशेषज्ञ पैनल को वह फुटेज सौंपे.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि कोरोना के इलाज करने वाले हर अस्पताल में हेल्प डेस्क बनाया जाएं. इसके साथ ही अस्पताल में आने वाले लोगों को वहां पर उपलब्ध बिस्तर और बाकी सुविधाओं की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाए.