Supreme Court On Stray Dogs: सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों पर आदेश पर भूमि पेडनेकर ने जताई चिंता, कहा- 'ये समस्या का समाधान नहीं'
बॉलीवुड एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर पशुओं के प्रति काफी संवेदनशील रही हैं. वह सोशल मीडिया पर अपने पालतू डॉग ब्रूनो के साथ बिताए पलों को अक्सर साझा करती रहती है, लेकिन इस बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने के आदेश पर अपनी चिंता जाहिर की है.
मुंबई, 13 अगस्त : बॉलीवुड एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर पशुओं के प्रति काफी संवेदनशील रही हैं. वह सोशल मीडिया पर अपने पालतू डॉग ब्रूनो के साथ बिताए पलों को अक्सर साझा करती रहती है, लेकिन इस बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने के आदेश पर अपनी चिंता जाहिर की है.
भूमि पेडनेकर ने इस फैसले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे आदेश कुत्तों की समस्या का समाधान नहीं हैं. स्ट्रीट डॉग हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं. वे हमारे साथ हजारों सालों से रहे हैं और वे हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं. ऐसे कुत्तों को जबरन सड़क से हटाने की बजाय हमें उनकी देखभाल के लिए बेहतर व्यवस्थाएं बनानी चाहिए. यह भी पढ़ें: Jaya Bachchan Angry Video: जया बच्चन ने फैन को मारा ‘धक्का’, फिल्म इंडस्ट्री की हस्तियों ने बताया निंदनीय
भूमि ने अपने इंस्टाग्राम पर ब्रूनो की कई तस्वीरें और वीडियो पोस्ट कीं और कैप्शन में लिखा, "मेरा पालतू कुत्ता ब्रूनो... हमारे जीवन में तब आया जब वह केवल 4 महीने का था. इसे यूथ ऑर्गनाइजेशन इन डिफेंस ऑफ एनिमल्स की टीम ने पाया था, तब यह गंभीर रूप से घायल था, जबड़ा टूटा हुआ था, पूंछ जली हुई थी, फिर भी उसकी हिम्मत एक योद्धा जैसी थी. यह सब कुछ उन बच्चों ने किया था जिन्हें एक मासूम प्राणी को तकलीफ देने में खुशी मिलती थी. लेकिन यह उनकी गलती नहीं है, बल्कि हमारी है क्योंकि हम अपने अंदर सहानुभूति, साथ रहने और दयालुता की भावना पैदा करने में नाकाम रहे. ब्रूनो एक समझदार, दयालु, चंचल, देखभाल करने वाला, सुरक्षात्मक और साथ ही कोमल दिल का है."
उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश, जिसमें दिल्ली के 3,00,000 कुत्तों को पकड़कर शेल्टर्स में रखने की अनुमति दी गई है, मुझे ब्रेनो और उन सभी आवारा कुत्तों की याद दिलाता है जो केवल सड़कों को अपना घर मानते हैं. दशकों से, सड़क पर कुत्तों को खाना खिलाने वाले लोग उनके रक्षक रहे हैं, जो अपनी जेब से उनका इलाज, नसबंदी और टीकाकरण कराते रहे हैं. उनकी मौजूदगी को अपराध न मानते हुए हमें मजबूत सुधार, बड़े पैमाने पर नसबंदी, नियमित टीकाकरण और समुदाय द्वारा उनकी देखभाल के लिए व्यवस्था करनी चाहिए. ये कुत्ते हमारे साथ 4,500 सालों से हैं और हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का हिस्सा हैं. इन्हें एक साथ जबरन हटाने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि इससे और अधिक क्रूरता बढ़ेगी. मेरी प्रार्थना है कि हम सबमें सहानुभूति, शांति और न्याय हो.''