नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शुक्रवार को केन्द्र से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें चिकित्सकों और चिकित्सीय (क्लीनिकल) प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ तत्काल और आवश्यक कार्रवाई किये जाने को लेकर निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई इस याचिका में चिकित्सकों और चिकित्सीय प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा को अलग से अपराध घोषित करने के वास्ते एक कानून लाने के सरकार को निर्देश देने की भी मांग की गई है।पीठ ने केन्द्र और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी किये और उनसे याचिका पर अपने जवाब दाखिल करने के लिए कहा.
एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (इंडिया) तमिलनाडु चैप्टर और डा.बी कन्नन द्वारा दायर की गई इस याचिका में भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा किये जा रहे एक अध्ययन का उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि देश भर के 75 प्रतिशत से अधिक चिकित्सकों ने किसी न किसी रूप में हिंसा का सामना किया है. याचिका में कहा गया है कि देशभर में चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा की ‘‘अनगिनत घटनाएं’’सामने आ रही है और यहां तक कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली, भी इससे नहीं बचा है. यह भी पढ़े: डॉक्टरों और मॉडल पर हमला: कोलकाता के मुसलमानों ने सीएम ममता बनर्जी से दोषियों पर कार्रवाई की मांग की
इसमें कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चिकित्सक और मरीज का अनुपात 1:1000 होना चाहिए जिसका मतलब है कि भारत को इस अंतराल को भरने के लिए और पांच लाख चिकित्सकों की जरूरत है.