प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में आयोजित 'समिट ऑफ फ्यूचर' में भाग लेते हुए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण और सतत विकास को प्राथमिकता देने पर जोर दिया. अपने भाषण में उन्होंने वैश्विक शांति और विकास के लिए सामूहिक शक्ति और सहयोग को सबसे महत्वपूर्ण बताया. PM मोदी ने अपने भाषण में सामूहिक शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि मानवता की सफलता किसी युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक शक्ति में निहित है. "मानवता की सफलता हमारी सामूहिक शक्ति में है, न कि युद्ध के मैदान में. उन्होंने कहा, "वैश्विक शांति और विकास के लिए वैश्विक संस्थानों में सुधार आवश्यक है. सुधार ही प्रासंगिकता की कुंजी है."
पीएम मोदी ने कहा, 'एक तरफ वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद जैसा बड़ा खतरा है, वहीं दूसरी तरफ साइबर, मैरिटाइम, स्पेस जैसे संघर्ष के नए मैदान बन रहे हैं. इन सभी मुद्दों पर वैश्विक कार्रवाई वैश्विक महत्वाकांक्षा से मेल खानी चाहिए."
UN में PM मोदी
#WATCH | PM Modi addresses 79th UN General Assembly session in New York, US
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— ANI (@ANI) September 23, 2024
PM मोदी ने कहा, "आज मैं यहां मानवता के एक-छठे हिस्से की आवाज लेकर आया हूं. हमने भारत में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है और यह दिखाया है कि सतत विकास सफल हो सकता है. हम इस सफलता का अनुभव वैश्विक दक्षिण (Global South) के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं." उनके इस वक्तव्य ने भारत के तेजी से हो रहे सामाजिक और आर्थिक सुधारों को विश्व के सामने प्रस्तुत किया.
'समिट ऑफ द फ्यूचर' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत के लिए 'वन अर्थ', 'वन फैमिली' और 'वन फ्यूचर' एक प्रतिबद्धता है. यही प्रतिबद्धता हमारे 'वन अर्थ', 'वन हेल्थ' और 'वन सन', 'वन वर्ल्ड', 'वन ग्रिड' जैसे पहल में भी देखाई देता है..."
वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता
PM मोदी ने यह भी कहा कि वैश्विक संस्थानों को अधिक प्रासंगिक और समावेशी बनाने के लिए सुधार जरूरी हैं. उनका मानना है कि अगर ये संस्थान वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होना चाहते हैं, तो उन्हें समय के साथ बदलना होगा और विभिन्न देशों की जरूरतों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए काम करना होगा.
मानव-केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर
प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि हमें हर नीतिगत निर्णय में मानवता को केंद्र में रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक मानवीय दृष्टिकोण अपनाने से ही हम एक स्थायी और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं. उन्होंने दुनिया को याद दिलाया कि आज के फैसले आने वाले कल की दिशा तय करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी ने 'ग्लोबल साउथ' यानी विकासशील देशों के हितों और उनके लिए सतत विकास के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत अपनी विकास यात्रा का अनुभव उन देशों के साथ साझा करने के लिए तत्पर है, जो समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.