Descendants of Lord Shri Ram: उत्तर प्रदेश के किसी धर्मस्थल की कल्पना करें, जहां आप भगवान श्री राम के पूरे वंश का लेखा-जोखा एक ग्रंथ में दर्ज पाएं जी हां, ऐसा ही एक अद्भुत ग्रंथ प्रयागराज के प्रसिद्ध पांडुलिपि ग्रंथालय में विराजमान है. 250 साल से भी पुराना यह वंशजीव भगवान श्रीराम के 187 पूर्वजों और वंशजों के नाम समेटे हुए है. यहां सूर्यवंशावली के अंतर्गत 64वें क्रम पर भगवान श्रीराम का शुभ नाम अंकित है.
संगम नगरी स्थित राजकीय पांडुलिपि पुस्तकालय में कई दुर्लभ पांडुलिपियां संजो कर रखी गयी हैं. इन्हीं पांडुलिपियों के बीच एक रजिस्टर मौजूद है. 1750 ई. के करीब लिखे गए इस रजिस्टर में हिंदी के साथ ही अंग्रेजी, उर्दू और अरबी भाषा में लिखावट मिलती है. राम वंशजों को जानने की जिज्ञासा और भगवान के प्रति श्रद्धा से प्रेरित होकर दूर-दूर से श्रद्धालु इस अनोखे वंशावली को देखने आते हैं. ये भी पढ़ें- Ayodhya Ram Mandir: 1528 से 2024 तक! आसान नहीं था विवादित ढांचे से लेकर भव्य राम मंदिर तक का सफर, पढ़ें अयोध्या की पूरी टाइमलाइन
श्री राम की वंशावली
- प्रथम पीढ़ी
ब्रह्मा
- दूसरी पीढ़ी
मरीचि
- तीसरी पीढ़ी
कश्यप
- चौथी पीढ़ी
विवस्वान (सूर्य)
- पांचवी पीढ़ी
वैवस्वत मनु
- छठी पीढ़ी
इक्ष्वाकु
- सातवी पीढ़ी
कुक्षि
- आठवीं पीढ़ी
विकुक्षि
- नवीं पीढ़ी
बाण
- दशवी पीढ़ी
अनरण्य
- ग्यारहवीं पीढ़ी
पृथु
- बारहवीं पीढ़ी
त्रिशंकु
- तेरहवीं पीढ़ी
धुंधुमार
- चौदहवीं पीढ़ी
युवनाश्व
- पंद्रहवीं पीढ़ी
मान्धाता
- सोलहवीं पीढ़ी
सुसन्धि
- सत्रहवीं पीढ़ी
ध्रुवसन्धि
- अठारहवीं पीढ़ी
भरत
- उन्नीसवीं पीढ़ी
असित
- बीसवीं पीढ़ी
सगर
- इक्कीसवीं पीढ़ी
असमंज
- बाइसवीं पीढ़ी
अंशुमान
- तेइसवीं पीढ़ी
दिलीप
- चौबीसवीं पीढ़ी
भगीरथ
- पच्चीसवीं पीढ़ी
ककुत्स्थ
- छब्बीसवीं पीढ़ी
रघु
- सत्ताईसवीं पीढ़ी
प्रवृद्ध
- अठ्ठाइसवीं पीढ़ी
शंखण
- उनतीसवीं पीढ़ी
सुदर्शन
- तीसवीं पीढ़ी
अग्निवर्ण
- इकत्तीसवीं पीढ़ी
शीघ्रग
- बत्तीसवीं पीढ़ी
मरु
- तेतीसवीं पीढ़ी
प्रशुश्रुक
- चौंतीसवीं पीढ़ी
अम्बरीष
- पैंतीसवीं पीढ़ी
नहुष
- छत्तीसवीं पीढ़ी
ययाति
- सैंतीसवीं पीढ़ी
नाभाग
- अठतीसवीं पीढ़ी
अज
- उनतालीसवीं पीढ़ी
दशरथ
- चालसवीं पीढ़ी
राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न
आज भी जीवित हैं भगवान राम के वंशज
माना जाता है वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कच्छवाहा), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वो सभी प्रभु श्रीराम के वंशज है.
जयपुर राजघराना है राम का वंशज
जयपुर राजघराना राम का वंशज है. जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी और परिवार के लोग राम के पुत्र कुश के वंशज हैं. कुछ समय पहले महारानी पद्मिनी ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 307वें वंशज थे.
इस घराने के महाराज मानसिंह द्वितीय ने तीन शादियां कीं. पहली पत्नी मरुधर कंवर, दूसरी पत्नी किशोर कंवर थीं. तीसरी पत्नी महारानी गायत्री देवी थीं. मानसिंह और उनकी पहली पत्नी से जन्मे पुत्र का नाम भवानी सिंह था. उनका विवाह राजकुमारी पद्मिनी से हुआ. दोनों का कोई बेटा नहीं है. एक बेटी है, जिसका नाम दीया है, जिनका विवाह नरेंद्र सिंह के साथ हुआ. दीया राजनीति में भी हैं. उनके दो बेटे हैं पद्मनाभ सिंह और लक्ष्यराज सिंह.