शेयर बाजारों (Share Markets) में बृहस्पतिवार को बड़ी गिरावट दर्ज की गयी. धातु, बैंक और प्रौद्योगिकी शेयरों में भारी बिकवाली से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स (Sensex) जहां 463 अंक का गोता लगा गया वहीं नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी (NSE Nifty) 11,000 अंक से नीचे बंद हुआ. दोनों शेयर सूचकांक पांच महीने के न्यूनतम स्तर पर बंद हुए. कारोबारियों के अनुसार बुनियादी उद्योगों और राजकोषीय घाटे के कमजोर आंकड़े तथा अमेरिकी केंद्रीय बैंक का ब्याज दर को लेकर आक्रमक रुख का शेयर बाजारों पर असर पड़ा. इसके अलावा विदेशी पूंजी निकासी जारी रहने तथा कंपनियों के कमजोर तिमाही परिणाम से भी बाजार धारणा प्रभावित हुई. कमजोर शुरुआत के बाद 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स कारोबार समाप्ति से पहले एक समय 750 अंक से अधिक टूट गया था. अंत में यह 462.80 अंक यानी 1.23 प्रतिशत की गिरावट के साथ 37,018.32 अंक पर बंद हुआ.
इसी प्रकार, नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी 138 अंक यानी 1.24 प्रतिशत टूटकर 11,000 अंक से नीचे गिरकर 10,980 अंक पर बंद हुआ. मार्च के शुरुआती दिनों के बाद दोनों सूचकांक का यह न्यूनतम स्तर है. सेंसेक्स में शामिल शेयरों में वेदांता को सर्वाधिक 5.55 प्रतिशत का नुकसान हुआ. उसके बाद क्रमश: टाटा मोटर्स, भारतीय स्टेट बैंक, येस बैंक, भारती एयरटेल और इन्फोसिस का स्थान रहा। इनमें 4.50 प्रतिशत तक की गिरावट रही. वहीं दूसरी तरफ मारुति, पावर ग्रिड, रिलायंस, बजाज आटो, हीरो मोटो कार्प, एचयूएल और एनटीपीसी लाभ में रहे. इनमें 1.86 प्रतिशत की तेजी आयी. बुधवार को बाजार बंद होने के बाद जारी आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जून माह में घटकर 0.2 प्रतिशत रहने का आंकड़ा सामने आने से निवेशक धारणा प्रभावित हुई. मुख्य रूप से तेल एवं गैस और सीमेंट उदत्पादन में गिरावट से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर कमजोर रही.
इसके अलावा सरकार का राजकोषीय घाटा जून तिमाही में 4.32 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो वित्त वर्ष 2019-20 के बजटीय अनुमान का 61.4 प्रतिशत है. वैश्विक मोर्चे पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी मानक ब्याज दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 2.0 से 2.25 प्रतिशत कर दी. दस साल से अधिक समय बाद अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में कटौती की है. हालांकि, फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि ब्याज दर में की गई इस कटौती को लंबे समय तक दर में कमी लाने की दिशा में उठाया गया कदम नहीं समझा जाना चाहिए. उनके इस बयान का वैश्विक बाजारों पर असर पड़ा. यह भी पढ़ें- सेंसेक्स की दस में से चार कंपनियों का बाजार कैपिटलाइजेशन 84,433 करोड़ रुपये घटा
सेंट्रम ब्रोकिंग लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और शोध प्रमुख (संपत्ति) जगन्नाथम थुनुगुंटला ने कहा, ‘‘विदेशी संस्थागत निवेशक बजट में उच्च दर से कर लगाने और आर्थिक वृद्धि के कई साल के न्यूनतम स्तर पर जाने की चिंता के बाद पिछले एक महीने में 3 अरब डालर मूल्य के शेयरों की बिकवाली की. इससे भारतीय बाजारों में गिरावट जारी है.’’ प्रमुख वाहन विनिर्माता कंपनियों ने जुलाई में बिक्री कम रहने की रिपोर्ट दी है जिससे उनके शेयरों पर असर पड़ा.
शेयर बाजारों के पास उपलब्ध अस्थायी आंकड़ो के अनुसार विदेशी निवेशकों ने बुधवार को शुद्ध रूप से 1,497.07 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे. एशिया के अन्य बाजारों में चीन का शंघाई कंपोजिट सूचकांक, हैंग सेंग और दक्षिण कोरिया का कोस्पी नुकसान में रहे जबकि जापान का निक्की बढ़त के साथ बंद हुआ. यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरूआती कारोबार में मिला-जुला रुख रहा.