नई दिल्ली: आम्रपाली ग्रुप द्वारा रियल एस्टेट परियोजनाओं को पूरा नहीं करने और खरीददारों को फ्लैट नहीं देने पर शीर्ष अदालत ने कड़ा रूख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली रियल एस्टेट ग्रुप के तीन डायरेक्टर्स को तुरंत पुलिस हिरासत में लेने के निर्देश दिए हैं. मंगलवार को जस्टिस अरुण मिश्रा और यूयू ललित की पीठ ने पुलिस को कोर्ट के अंदर बुलाया और आदेश दिया कि आम्रपाली समूह के तीन डायरेक्टर्स को तब तक के लिए हिरासत में लिया जाए, जब तक वे फॉरेंसिक ऑडिट के पूरे दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा देते हैं.
इनमें अनिल कुमार शर्मा, शिव प्रिया और अजय कुमार शामिल हैं. अदालत ने कहा कि जब तक ये तीनों ऑडिट रिपोर्ट नहीं जमा करते तब तक उन्हें हिरासत में रखा जाए.
SC sends three Amrapali real estate Group Directors- Anil Kumar Sharma, Shov Priya and Ajay Kumar - in police custody for not handing over all the documents with respect to its account related to forensics audits. https://t.co/iHPviiyxsk
— ANI (@ANI) October 9, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आम्रपाली ग्रुप को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने डेवलपर को कहा कि वह लुकाछिपी का खेल बंद करे, और जरुरी दस्तावेज जमा करें. सुप्रीम कोर्ट ने डेवलपर की तरफ से पैरवी कर रहे वकील को कहा कि अभी तक फॉरेंसिक ऑडिट से जुड़ी रिपोर्ट ऑडिटर्स को क्यों नहीं सौंपी गई है.
इससे पहले अगस्त में शीर्ष अदालत ने आम्रपाली ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर और डायरेक्टरों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर आपने हमसे चालाकी दिखाने की कोशिश की, तो गंभीर परिणाम भुगतान होंगे. शीर्ष अदालत ने कहा कि हम आप सभी को बेघर कर देंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के डायरेक्टर्स को कहा था कि आपने लोगों को घर के लिए भटकने के लिए मजबूर किया है. हम आपकी सारी संपत्ति बेच देंगे. आपका घर भी बेच देंगे. आप भी ऐसे ही अपने घर को देखेंगे जैसे दूसरे फ्लैट खरीदार देख रहे है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के डायरेक्टर और प्रमोटरों को अपनी चल और अचल संपत्तियों का पूरा ब्योरा भी पेश करने को कहा था.
इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने बिजली कंपनियों को निर्देश दिया था कि वे आम्रपाली समूह की दो परियोजनाओं में बिजली आपूर्ति बहाल करें. बिजली बिल बकाया रहने के कारण सिलिकॉन सिटी और जुड़ियाक प्रोजेक्ट को बिजली आपूर्ति बंद कर दी गई थी. शीर्ष अदालत ने आम्रपाली समूह के सेवारत निदेशकों या 2008 से अब तक कंपनी छोड़ चुके डायक्टरों का भी ब्योरा मांगा है.