नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता स्वामी चिन्मयानंद (Swami Chinmayanand) को कानून की छात्रा के यौन शोषण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने की मांग वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि यह आपसी लेनदेन का एक मामला है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता द्वारा मामले की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए दाखिल एक अलग याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य लोगों को एक नोटिस जारी किया.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही अपने आदेश में जमानत देने का कारण बता चुकी है. तीन फरवरी को हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद को जमानत दे दी थी. उन्हें उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में उनके ट्रस्ट द्वारा संचालित लॉ कॉलेज की एक छात्रा का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि दोनों ने एक-दूसरे का इस्तेमाल किया. न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कहा था, "दोनों ही पक्षों ने अपनी हदें पार कर दी हैं. यह भी पढ़े: पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को बड़ी राहत, इलाहाबाद हाई कोर्ट से 135 दिनों बाद मिली जमानत, यौन शोषण का लगाया था आरोप
यह तय करना मुश्किल है कि किसने किसका शोषण किया. वास्तव में दोनों ने एक-दूसरे का इस्तेमाल किया. चिन्मयानंद को पिछले 20 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. पिछले साल अगस्त में कानून की 23 वर्षीय छात्रा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप जारी कर यौन शोषण का आरोप लगाया था। उसके बाद वह लापता हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उसके बाद मामले में हस्तक्षेप किया था.एसआईटी ने इस मामले में छात्रा को भी गिरफ्तार किया था कि वह और उसके दोस्त चिन्मयानंद से कथित रूप से पांच करोड़ रुपये वसूलने का प्रयास कर रहे थे.