SC ने दिया ISRO के पूर्व वैज्ञानिक को 50 लाख रूपये मुआवजा देने का आदेश, 1994 में जासूसी के आरोप में किया गया था अरेस्ट
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI/File Image)

नई दिल्ली: इसरो (ISRO) जासूसी मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत ने बड़ा फैसला दिया है. इसी कड़ी में बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्पीड़न का शिकार हुए इसरो वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट (SC) ने जस्टिस डीके जैन के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था जो नंबी नारायणन द्वारा की गई शिकायत की जांच कर रही थी. नारायणन ने कुछ पुलिस अफसरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि वह लोग उन्हें वेबजह किसी मामले में फंसा रहे थे.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जुलाई में ही इस आदेश को सुरक्षित कर लिया था. यह तब हुआ था जब सीबीआई (CBI) इस मामले में अदालत की जांच के लिए तैयार हो गई थी. यह भी पढ़े-इसरो के नाम 16 सितंबर को होगा एक और कीर्तिमान, ऐसे अमेरिका और रूस को देगा टक्कर

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि इस केस में वैज्ञानिक एस. नंबी नारायणन को 24 साल पहले केरल पुलिस द्वारा बेवजह गिरफ्तार किया गया था. उन्हें (नारायणन) परेशान किया गया और मानसिक प्रताड़ना दी गई.

बता दें कि 1994 के जासूसी मामले में बरी किए गए इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नारायणन तब से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे. जासूसी मामले में नारायणन और एक अन्य को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने दावा किया था कि उन्होंने कुछ गुप्त दस्तावेज पाकिस्तान को दिए थे. जांच के बाद सीबीआई ने कहा था कि ये आरोप झूठे हैं. हालांकि फिर से जांच के आदेश दिए गए पर 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को रद्द कर दिया.

इसके बाद नारायणन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंचे, जहां से 10 लाख रुपये मुआवजे का आदेश दिया गया. हालांकि वह संतुष्ट नहीं हुए और सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए.