Rishikesh AIIMS: एम्स में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले पर सीबीआई ने दाखिल की चार्जशीट, तत्कालीन प्रोफेसर सहित 5 को बनाया आरोपी

ऋषिकेश एम्स में हुए करोड़ों रुपये के घोटाला मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. इस घोटाले में एम्स के तत्कालीन प्रोफेसर, अधिकारियों समेत पांच को आरोपी बनाया गया है.

ऋषिकेश एम्स (Photo Credits: Twitter)

ऋषिकेश: ऋषिकेश एम्स में हुए करोड़ों रुपये के घोटाला मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. इस घोटाले में एम्स के तत्कालीन प्रोफेसर, अधिकारियों समेत पांच को आरोपी बनाया गया है. MP में बालगृह से 26 लड़कियां लापता, 12 बच्चियां अपने-अपने घरों में मिली, 2 अधिकारी निलंबित

एम्स में रोड स्वीपिंग मशीन व केमिस्ट स्टोर के आवंटन में टेंडर प्रक्रिया में साढ़े चार करोड़ रुपये का यह घोटाला सीबीआई के संज्ञान में साल 2022 में आया था. इसके बाद सीबीआई ने माइक्रोबायलॉजी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर समेत 9 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. प्राथमिक जांच में सीबीआई ने माइक्रोबायलॉजी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर बलराम जी ओमर, एनाटामी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल, प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत और लेखाधिकारी दीपक जोशी के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद पांचों आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.

वहीं, त्रिवेणी सेवा फार्मेसी के मालिक को भी षड्यंत्र में शामिल होने का आरोपित बनाया गया है. अन्य के खिलाफ भी सीबीआई जल्द चार्जशीट दाखिल कर सकती है.

सीबीआई को साल 2022 के दौरान एम्स में मशीनों व मेडिकल स्टोर के आवंटन में घोटाले की सूचना मिली थी. सीबीआई की टीम ने तीन फरवरी 2022 को एम्स ऋषिकेश में दबिश दी. यह कार्रवाई 07 फरवरी 2022 तक चली. इसके बाद टीम 22 अप्रैल 2022 को फिर से एम्स पहुंची और कई दस्तावेज खंगालने के बाद स्वीपिंग मशीन खरीद और मेडिकल स्टोर आवंटन में 4.41 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया. इसके बाद सीबीआई ने एम्स के पांच अधिकारियों समेत 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था.

सीबीआई की जांच में सामने आया है कि स्वीपिंग मशीन खरीदने के लिए एम्स में 5 सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी. कमेटी में डॉ. बलराम जी ओमर, डॉ बृजेंद्र सिंह, डॉ अनुभा अग्रवाल, दीपक जोशी व शशिकांत शामिल थे.

आरोप है कि निविदा प्रक्रिया में मानकों को ताक पर रखकर कमेटी ने योग्य कंपनी को बाहर करते हुए अयोग्य कंपनी को टेंडर दे दिया और 2 करोड़ रुपये की मशीन खरीदी, जो सिर्फ 124 घंटे ही चली. इसी तरह एम्स में केमिस्ट की दुकान का टेंडर आवंटित करने में अनियमितता बरती गई. टेंडर प्रक्रिया के विपरीत मैसर्स त्रिवेणी सेवा फार्मेसी को टेंडर आवंटित किया गया.

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