चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हाल ही में माना कि माता-पिता को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत अपने बच्चे के खिलाफ किसी भी अपराध के बारे में पुलिस या विशेष किशोर पुलिस इकाई (SPJU) को सूचित करना अनिवार्य है. जस्टिस दीपक गुप्ता ने अपने बेटे के यौन उत्पीड़न की पुलिस में रिपोर्ट करने में विफल रहने पर एक पीड़ित बच्चे की मां को आरोपी के रूप में जोड़ने के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित एक आवेदन को रद्द करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की. HC On Sexual Assault: पुरुष भी हो सकते हैं यौन उत्पीड़न के शिकार, POCSO के पीड़ित हैं कई लड़के, हाई कोर्ट की टिप्पणी.
पीड़ित बच्चा फरीदाबाद के दिल्ली पब्लिक स्कूल का छात्र था, जिसकी 2022 में आत्महत्या से मृत्यु हो गई थी. चूंकि मां कथित तौर पर अपने बेटे के यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट पुलिस में करने में विफल रही थी, इसलिए उसे आरोपी बनाने के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी.
कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को यह आशंका है कि किसी बच्चे के खिलाफ POCSO अधिनियम के तहत अपराध होने की संभावना है या उसे पता है कि ऐसा अपराध किया गया है, तो वह पुलिस या SPJU को सूचित करने के लिए बाध्य है. अपराध के बारे में जानकारी रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए विशेष किशोर पुलिस इकाई [SPJU] को सूचित करना अनिवार्य है.
कोर्ट ने आगे टिप्पणी की कि POCSO अधिनियम की धारा 21 किसी मामले की रिपोर्ट करने में विफलता पर सजा का प्रावधान करती है, भले ही वह व्यक्ति किसी संस्था का हिस्सा हो या बच्चे के माता-पिता या दोस्त हो. फरवरी 2022 में आत्महत्या से मरने वाले 16 वर्षीय लड़के की मौत से संबंधित मामले में अदालत ने ये टिप्पणियां कीं. दसवीं कक्षा के छात्र ने अपने सुसाइड नोट में इसके लिए स्कूल अधिकारियों को दोषी ठहराया था.
मृतक लड़के की मां ने बताया कि स्कूल के छात्र पीड़ित को "समलैंगिक कहकर" परेशान करते थे लेकिन स्कूल प्रबंधन ने कोई कार्रवाई नहीं की. पुलिस ने स्कूल के प्रिंसिपल सुरजीत खन्ना और हेडमिस्ट्रेस ममता गुप्ता के खिलाफ धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और POCSO अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया.