भोपाल : मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए कवायद जोरों पर है, भोपाल से लेकर दिल्ली तक हलचल है. इस पद के दावेदार के लिए कई बड़े नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, मगर सात नेताओं का पैनल पहले से ही पार्टी हाईकमान और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास उपलब्ध है. संभावना है कि पैनल के नामों में से ही अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगेगी.
इस बीच आज सूबे के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोनिया गाँधी से मुलाकात की. उन्होंने यह भी कहा कि सूबे में पार्टी के विस्तार को लेकर भी चर्चा. वहीं, सूबे में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अध्यक्ष बनाने की मांग उठ रही है.
इस समय कांग्रेस एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर काम कर रही है, यही कारण है कि अध्यक्षों के मुख्यमंत्री बनने के बाद नए अध्यक्षों को कमान सौंपी जा रही है. छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन मरकाम को नया पार्टी अध्यक्ष बना दिया गया है. अब मध्यप्रदेश में भी यही कुछ होने वाला है, क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के पास मुख्यमंत्री पद की भी जिम्मेदारी है.
पार्टी के भीतर नए अध्यक्ष को लेकर लगातार मंथन का दौर जारी है, मगर नया प्रदेश अध्यक्ष वही व्यक्ति बनेगा, जिसे कमलनाथ का साथ हासिल होगा. कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान का ही नतीजा है कि एक साथ 10 से ज्यादा नेताओं के नाम पार्टी अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हो गए हैं, इनमें प्रमुख रूप से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व मंत्री मुकेश नायक, वर्तमान मंत्री उमंग सिंगार, ओमकार सिंह, मरकाम कमलेश्वर पटेल, सज्जन वर्मा, बाला बच्चन के अलावा पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन और पूर्व प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष शोभा ओझा के नाम की चर्चा जोरों पर है.
पार्टी के महासचिव और प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया का कहना है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का फैसला कभी भी संभव है, यह निर्णय पार्टी हाईकमान सोनिया गांधी को लेना है.
वहीं, पार्टी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव की हार के बाद ही पार्टी ने नए अध्यक्ष के लिए कार्यकर्ताओं से मंथन शुरू कर दिया था. राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश में सह प्रभारी संजय कपूर और सुधांशु त्रिपाठी ने इस मसले पर चुनाव हारे उम्मीदवारों के साथ संबंधित संसदीय क्षेत्रों के 40 से 50 कार्यकर्ताओं से हार के कारण तो पूछे ही थे, साथ ही नए अध्यक्ष को लेकर भी उनसे सलाह मशविरा किया गया था.
सूत्रों के अनुसार, चुनाव हार के कारणों की जो रिपोर्ट अगस्त माह में पार्टी हाईकमान को सौंपी गई थी, उसमें पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर भी राय दी गई थी और कार्यकर्ताओं की पसंद वाले अध्यक्षों के नाम की सूची भी भेजी गई थी.
सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय सचिवों की रिपोर्ट में ज्योतिरादित्य सिंधिया, अजय सिंह, अरुण यादव, मुकेश नायक, बाला बच्चन, सज्जन वर्मा, उमंग सिंगार के नाम प्रमुख रूप से थे.
पार्टी में नए अध्यक्ष को लेकर एक तरफ मंथन का दौर जारी था तो दूसरी हुई भोपाल में गोलबंदी तेज हो गई है. मंगलवार को पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के निवास पर दिग्विजय सिंह और राज्य सरकार के मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह के साथ बैठक हुई और उसके अगले ही दिन लगभग एक दर्जन विधायकों की बैठक अजय सिंह के आवास पर हुई. बैठकों के इस दौर में सियासी हलचल पैदा कर दी है. कहा तो यह जा रहा है कि यह बैठक पार्टी हाईकमान पर राजनीतिक तौर पर दबाव बनाने के लिए हुई थी.
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह तमाम कयासों का खंडन करते हुए कहते हैं कि उनका निवास भोपाल में है, वे यहां रहते और विधायक विभिन्न कामों से समितियों की बैठकों में राजधानी आते हैं. लिहाजा, विधायकों का मिलना उनसे आम बात है. इसे किसी भी तरह की संभावनाओं से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. साथ ही उनकी किसी भी पद को लेकर कोई दावेदारी नहीं है.
राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि राज्य में कांग्रेस में समन्वय और संतुलन आवश्यक है, इसलिए पार्टी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है. पार्टी में गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है. लिहाजा, पार्टी के लिए एक ऐसे अध्यक्ष का चयन आसान नहीं है जो सभी गुटों को स्वीकार्य हो. यही कारण है कि राज्य में दवाब की सियासत गाहे-बगाहे सामने आती रही है. इतना तो तय है कि राज्य इकाई के नए अध्यक्ष के चयन में मुख्यमंत्री कमलनाथ और सिंधिया की अहम भूमिका होगी.