लखनऊ, 11 सितंबर: भ्रष्टाचार को लेकर अपनी शून्य-सहनशीलता की नीति पर चलते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों पर शिकंजा कसना जारी रखा है. बीते 24 घंटे के अंदर दो आईपीएस अधिकारियों को निलंबित करने के बाद राज्य सरकार ने गुरुवार की रात को भ्रष्टाचार के आरोपों और ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में और पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. निलंबित एसएसपी मणि लाल पाटीदार के खिलाफ महोबा में जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया है.
वहीं महोबा में सरकार ने चरखारी पुलिस स्टेशन के पूर्व इंस्पेक्टर राजेश कुमार सरोज, खरेला के पूर्व थाना प्रभारी राजू सिंह, करबई के पूर्व एसओ देवेंद्र शुक्ला और कांस्टेबल राजकुमार कश्यप को निलंबित कर दिया है. एसएसपी महोबा मणि लाल पाटीदार को पहले बुधवार को निलंबित कर दिया गया था और उनके खिलाफ विजिलेंस जांच का आदेश दिया गया है. प्रयागराज में जहां एसएसपी अभिषेक दीक्षित को मंगलवार को निलंबित कर दिया गया, वहीं नौ पुलिसकर्मियों को कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.
करेली इंस्पेक्टर अंजनी कुमार श्रीवास्तव, अतरसुइया इंस्पेक्टर संदीप मिश्रा, करेली इंस्पेक्टर नागेंद्र कुमार नागर, सब-इंस्पेक्टर गौरव तिवारी, प्रेम कुमार, कुलदीप कुमार यादव, दुर्गेश राय, इबरार अंसारी और हेड कांस्टेबल राम प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों के आधार पर कार्रवाई की गई है और आने वाले दिनों में और कईं पर गाज गिरने की उम्मीद है.
एडीजी रैंक के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "कार्रवाई बहुत पहले की जानी चाहिए थी, लेकिन यह अभी भी स्वागत योग्य है. यह प्रणाली को साफ करने और बल में अनुशासन को विकसित करने में मदद करेगा. बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी, जिनकी राजनीतिक नेताओं से संबंध है, वे अनुशासन का पालन नहीं करते हैं और ऐसे में स्वाभाविक काम करना कठिन हो जाता है." डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि इस कार्रवाई के परिणाम दिखने में करीब छह महीने लगेंगे और अगर सख्ती जारी रही तो उप्र पुलिस खोई हुई शान वापस हासिल कर लेगी.