Maharashtra Politics: एनसीपी में शरद पवार के बाद दूसरे नंबर का कद रखने वाले उनके भतीजे अजित पवार ने बगावत कर दी और महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ शिंदे-फडणवीस सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए. इस बीच अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग के सामने बड़ा दावा किया है. इसमें शरद पवार की जगह अजित पवार को NCP का अध्यक्ष बनाने का दावा किया गया है.
एनसीपी चीफ शरद पवार से अजित पवार की बगावत अब अगले दौर में पहुंच गई है. अब शरद पवार और अजित पवार दोनों गुट अपने आप को असली NCP बता रहे हैं. ऐसा ही कुछ आज से 45 साल पहले साल 1978 में शरद पवार ने भी किया था. शरद पवार ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और एक झटके में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए थे. डिप्टी सीएम अजित ने बनें NCP अध्यक्ष, शरद पवार को पद से हटाया, बागी गुट का दावा
महाराष्ट्र में साल 1978 में वसंत दादा पाटिल की सरकार के खिलाफ शरद पवार ने बगावत कर दी थी. कांग्रेस से विद्रोह करते हुए 40 विधायकों के साथ अलग हो गए थे, इसके चलते वसंत दादा पाटिल के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार गिर गई थी. 18 जुलाई 1978 को शरद पवार ने सीएम पद की शपथ ली थी. प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा बना था, जिसमें कई विपक्षी पार्टियां शामिल हुई थीं. इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी के बाद फरवरी 1980 में इस प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) सरकार को बर्खास्त कर दिया गया.
पवार और उनके समर्थकों द्वारा विद्रोह कई कारकों के कारण शुरू हुआ था, जिसमें कांग्रेस पार्टी के भीतर इंदिरा गांधी गुट के कथित प्रभुत्व के साथ-साथ मुख्यमंत्री बनने के लिए पवार की अपनी महत्वाकांक्षाएं भी शामिल थीं. विद्रोह का महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन हुआ. पवार और उनके समर्थकों का विद्रोह महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में एक बड़ा मोड़ था और इसका आज भी राज्य की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है.