पटना: जनता दल युनाइटेड (JDU) ने अपने वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) की जगह राज्यसभा में झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को भेजने का निर्णय लिया है. इसको लेकर सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह के बीच मनमुटाव की खबरें आ रही है. इस बीच राज्यसभा नामांकन के मुद्दे पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा “वह (आरसीपी सिंह) तब से हमारे साथ हैं जब वह एक आईएएस अधिकारी थे. उन्हें दो बार राज्यसभा भेजा जा चुका है. उन्हें पार्टी का अध्यक्ष भी बनाया गया था और वे वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री हैं. इसलिए उन्हें सभी अवसर मिले हैं.”
आरसीपी सिंह ने सोमवार को कहा कि युनाइटेड में कोई नाराजगी नहीं है और सिर्फ एक नेता नीतीश कुमार हैं. उन्होंने कहा कि मुझे जो भी जिम्मेदारी दी गई है उसे मजबूती, ईममानदारी और निष्ठा से निभाता हूं और आगे भी जो भी जिम्मेदारी मिलेगी उसे निभाउंगा. राज्यसभा का टिकट कटने के बाद पहली बार सोमवार को पत्रकाारों से चर्चा करते हुए सिंह ने जदयू में किसी भी खेमेबाजी से इनकार किया. उन्होंने कहा कि जदयू में कोई नाराजगी नहीं है और एक ही नेता नीतीश कुमार है. नीतीश कुमार के नाराज होने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि मैं कोई भी ऐसा काम नहीं करता कि कोई नाराज हो. मैं नाराज लोगों को साथ लाने पर विश्वास करता हूं. नीतीश कुमार ने जो फैसला लिया है वह पार्टी के मजबूती और उनकी भलाई के लिए ही लिया होगा. नीतीश कुमार का हर फैसला मंजूर है.
He is with us since he was an IAS officer. He has been sent to Rajya Sabha twice. He was also made party's president and he is currently a minister in Central Govt. So he has got all these opportunities: Bihar CM Nitish Kumar on Union Min RCP Singh's Rajya Sabha nomination issue pic.twitter.com/JVk4PTAx9M
— ANI (@ANI) May 30, 2022
गौरतलब हो कि झारखंड प्रदेश जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष और मांडू क्षेत्र के पूर्व विधायक खीरू महतो को बिहार में जदयू ने राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है. इसका संदेश यह है कि नीतीश कुमार आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति में अपनी पार्टी का दखल बढ़ायेंगे. खीरू महतो बेहद लो प्रोफाइल लीडर हैं, लेकिन वे जिस कुर्मी जाति से आते हैं, उसका झारखंड में बड़ा जनाधार है. झारखंड में डेढ़ दशक पहले तक जदयू एक महत्वपूर्ण राजनीतिक फैक्टर था, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनावों में इस पार्टी के किसी भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने झारखंड में अपनी पार्टी की खोई हुई जमीन को वापस हासिल करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है.