Rajasthan: अशोक गहलोत की नई टीम गठित होने के बाद भी कलह जारी? CM के नवनियुक्त सलाहकार बोले- सचिन पायलट के नेतृत्व में 2023 का चुनाव लड़ा तो अंजाम बहुत बुरा होगा
सचिन पायलट और अशोक गहलोत (Photo Credits: PTI)

जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद भी सब कुछ ठीक होता नजर नहीं आ रहा है. अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की सरकार अंदरूनी कलह से अब भी जूझ रही है. सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल विस्तार के अगले दिन सोमवार को सरकार के मंत्रियों को नए विभाग बांट दिए. हालांकि उन्होंने गृह और वित्त विभाग अपने पास ही रखा. जबकि तीन निर्दलीय समेत छह विधायकों को सीएम अशोक गहलोत का सलाहकार नियुक्त किया गया. राजस्थान के नए मंत्रियों ने कहा: अच्छी सेवाओं के साथ नवाचार को गति देना प्राथमिकता

सीएम अशोक गहलोत के नवनियुक्त सलाहकार और निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा (Ramkesh Meena) से निर्दलीय विधायकों को नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किये जाने के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने रूठे हुए लहजे में कहा “यह निर्भर करता है कि आलाकमान को कैसे सूचित किया गया, उन्हें बार-बार बताया गया कि निर्दलीय विधायकों और बीएसपी के लोगों की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है.”

सचिन पायलट पर निशाना साधते हुए मीणा ने कहा “अगर हम उनके (सचिन पायलट) नेतृत्व में चुनाव लड़ते हैं, तो मैं आलाकमान से मिलूंगा और उन्हें बताऊंगा कि उन्होंने पहले ही राजस्थान में टिकट कैंसिल करके और पार्टी को नुकसान पहुंचाकर बगावत कर दी थी. अगर हम उनके नेतृत्व में 2023 के चुनावों में उतरते हैं, तो पार्टी के लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता है.”

उल्लेखनीय है कि गहलोत ने हाल ही में एक बयान देते हुए कहा था कि हम उन लोगों को कैसे भूल सकते हैं जिन्होंने संकट के समय होटल में हमारे साथ 34 दिन बिताए थे. रविवार को सवाल उठाया गया था कि विद्रोह के दौरान राज्य सरकार को कट्टर समर्थन देने वाले 13 निर्दलीय विधायकों की अनदेखी कैसे की गई. पिछले साल राजनीतिक संकट के दौरान निर्दलीय विधायकों ने गहलोत सरकार को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी.

पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने रविवार को कहा था कि राजस्थान में 2023 का चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा और उनका लक्ष्य राज्य में फिर से कांग्रेस की सरकार बनाने का है. जब उनसे पूछा गया था कि क्या उनके नेतृत्व में अगला चुनाव होगा, तो उन्होंने कहा, "हम सभी ने 2018 में एक साथ चुनाव लड़ा. 2013 के चुनाव में हमारी 21 सीटों का स्कोर 2018 के चुनाव में 100 हो गया. हम सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं और सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी के नेतृत्व में ऐसा करना जारी रखेंगे."