Punjab Assembly Elections 2022: पंजाब (Punjab) में आखिरकार शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) और बीजेपी के बीच का वर्षों पुराना गठबंधन टूट गया है. कृषि कानून (Farm Law) को लेकर दोनों दलों के बीच करीब दो महीने से तनाव चल रहा था. इसके साथ ही बीजेपी ने साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां पूरे दमखम के साथ शुरू कर दी है. बीजेपी ने साफ कहा है कि वह 117 विधानसभा क्षेत्रों में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. पराली जलाने के सबसे अधिक मामले पंजाब में; कृषि कानूनों को लेकर गुस्सा हो सकता है प्रमुख कारण
बीजेपी महासचिव तरूण चुग (Tarun Chugh) ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी ने 2022 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में सभी 117 सीटों पर मैदान में उतरने की तैयारी युद्धस्तर पर शुरू कर दी है. चुग ने कहा कि जमीनी स्तर पर बीजेपी कार्यकर्ताओं को एकजुट करके राज्य के 23000 मतदान केंद्रों पर सांगठनिक ढांचा मजबूत बनाया जा रहा है.
उन्होंने यहां एक बयान में कहा कि बीजेपी अध्यक्ष गुरुवार को पार्टी के 10 जिला कार्यालयों का डिजिटल तरीके से उद्घाटन करेंगे तथा तैयारियों का जायजा लेने और पार्टी कार्यकताओं में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जोश भरने के वास्ते राज्य की तीन दिन की यात्रा करेंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा की अगुवाई में पार्टी के नेता पंजाब में नरेंद्र मोदी सरकार की 160 लोक कल्याणकारी योजनाओं को लोकप्रिय बनायेंगे और राज्य में उन पर हुए काम से लोगों को अवगत करायेंगे.
बीजेपी महासचिव का बयां ऐसे समय में आया है जब करीब दो महीने पहले शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का साथ छोड़ दिया. साथ ही सांसद हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया था.
पंजाब में बीजेपी और अकाली दल के बीच साल 1992 में गठबंधन हुआ तह. तब से अब तक 13 संसदीय सीटों में से तीन पर और 117 विधानसभा क्षेत्रों में से 23 पर बीजेपी अपने उम्मीदवार उतारती थी, जबकि बाकी पर शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी मैदान में उतरते थे. कुछ समय पहले ही बीजेपी ने राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम को पंजाब का प्रभारी भी नियुक्त किया.
कांग्रेस (Congress) पार्टी और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) की सरकार के लिए इसे एक बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 77 सीटें जीतकर राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल किया और 10 साल बाद शिरोमणि अकाली दल की अगुवाई वाली सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया. साथ ही 2019 के लोकसभा चुनावों में भी पंजाब में गठबंधन का खराब प्रदर्शन दिखा और केवल 2-2 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस 8 सीटों पर विजयी हुई. जबकि 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी-शिरोमणि अकाली दल राज्य में 6 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी.