भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है.कांग्रेस इसे लेकर बीजेपी पर लगातार हमला भी करती रही है. कांग्रेस ने आज रविवार को केंद्र सरकार की ओर से जारी उस फैसले की तीखी आलोचना की है.
जिसमें आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने को लेकर 6 दशक पुरानी पाबंदी को हटा दिया गया है. इस आदेश के बाद अब सरकारी कर्मचारी भी आरएसएस के कार्यक्रम में सहभागी हो सकेंगे.
इससे पहले की केंद्र सरकारों की ओर से साल 1966, 1970 और 1980 के उन आदेशों में संशोधन किया गया है, जिनमें कुछ अन्य संस्थाओं के साथ-साथ आरएसएस की शाखाओं तथा अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर सरकारी कर्मचारियों पर कड़े दंडात्मक प्रावधान लागू किए गए थे. पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने समय-समय पर सरकारी लोगों के आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक लगा दी थी. ये भी पढ़े :Parliament Monsoon Session: संसद के मानसून सत्र का आज से आगाज, निर्मला सीतारमण पेश करेंगी आर्थिक सर्वेक्षण
देखें ट्वीट :
फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया।
1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया… pic.twitter.com/17vGKJmt3n
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 21, 2024
इसको लेकर कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया ट्विटर एक्स पर सरकार की ओर से जारी आदेश के साथ आलोचना करते हुए कहा, 'सरदार पटेल ने महात्मा गांधी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि इसके बाद संघ की ओर से अच्छे व्यवहार के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया. इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया गया.
उन्होंने आगे कहा, 'साल 1966 में, सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.और यह फैसला सही भी था. लेकिन 4 जून 2024 के बाद, पीएम मोदी और आरएसएस के बीच संबंधों में गिरावट देखी जा रही है. इस बीच 9 जुलाई 2024 को मोदी सरकार ने 58 साल के बैन को हटा दिया. जबकि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी यह बैन लागू था. मुझे लगता है कि अब नौकरशाही भी दबाव में आ सकती है.