Government Employee RSS: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की “खिंचाई” करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार को अपनी इस चूक का अहसास करने में करीब पांच दशक लग गए कि “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरीखे विश्वप्रसिद्ध संगठन” को सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रतिबंधित संगठनों की सूची में गलत तरह से शामिल किया गया था. अदालत ने संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगी रोक हटाने के सरकार के हालिया फैसले के हवाले से यह तल्ख टिप्पणी की. उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारी पुरुषोत्तम गुप्ता की रिट याचिका का निपटारा करते यह टिप्पणी की.
गुप्ता ने 19 सितंबर 2023 को उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों के साथ ही केंद्र सरकार के उन कार्यालय ज्ञापनों को चुनौती दी थी जो संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने में बाधा बन रहे थे.
पीठ ने केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और गृह मंत्रालय को निर्देश भी दिया कि वे अपनी आधिकारिक वेबसाइट के ‘होम पेज’ पर नौ जुलाई के उस कार्यालय ज्ञापन को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करें, जिसके जरिये सरकारी कर्मचारियों के संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगी रोक हटाई गई है. अदालत ने इस ज्ञापन को देश भर में केंद्र सरकार के सभी विभागों और उपक्रमों को 15 दिन के भीतर भेजने का निर्देश भी दिया. इंदौर में रहने वाले याचिकाकर्ता पुरुषोत्तम गुप्ता ने बताया कि वह संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगी रोक हटाने के केंद्र सरकार के फैसले से जाहिर तौर पर खुश हैं. उनके पिता संघ की शाखा में जाते थे और सेवानिवृत्ति के बाद वे भी संघ की गतिविधियों से जुड़ना चाह रहे थे.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)