लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के पांच महीने के भीतर ही हरियाणा और महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का वोट प्रतिशत कम हुआ है. इसी के साथ हरियाणा में भाजपा को पिछली बार की तुलना में सात, तो महाराष्ट्र में 17 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. 2019 के लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव के बीच सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को हरियाणा में उठाना पड़ा.
जहां, उसका वोट शेयर 22 प्रतिशत तक गिर गया. जबकि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 58 प्रतिशत वोट शेयर के साथ राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर क्लीन स्वीप किया था. अप्रैल-मई में लोकसभा का चुनाव हुआ था. भाजपा को इस बार हरियाणा (Haryana) विधानसभा चुनाव में 36.49 प्रतिशत वोट शेयर मिला है. हालांकि, 2014 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े से यह तीन प्रतिशत अधिक है.
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लिहाजा भाजपा इसे अपनी सफलता मान रही है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने परिणाम आने के बाद गुरुवार को पार्टी मुख्यालय पर पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में बढ़े तीन प्रतिशत वोट शेयर को सफलता करार दिया. इसी तरह महाराष्ट्र की बात करें, तो वहां भी 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में भाजपा और उसके गठबंधन का वोट प्रतिशत कम हुआ है. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को 50.8 प्रतिशत वोट मिले थे, मगर पांच महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा घटकर 42.1 प्रतिशत पर अटक गया.
विधानसभा 2014 की तुलना में 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के करीब छह लाख वोट घट गए. पिछली बार भाजपा को एक करोड़ 47 लाख वोट मिले थे, इस बार एक करोड़ 41 लाख वोट मिले हैं. पिछली बार महाराष्ट्र में भाजपा को 122 सीटें मिलीं थीं, इस बार 105 सीटें मिली हैं. हालांकि, पिछली बार भाजपा ने अलग चुनाव लड़ा था, इस बार शिवसेना से गठबंधन के कारण पार्टी सिर्फ 164 सीटों पर मैदान में उतरी. भाजपा का कहना है कि कम सीटों पर लड़ने के हिसाब से पार्टी का स्ट्राइक रेट अच्छा है. इस विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 16.41 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया है.