मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव का प्रचार अभियान जोर पकड़ रहा है, मगर कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) की प्रचार अभियान से दूरी चर्चाओं में है. कांग्रेस इस मसले पर मौन है तो दूसरी ओर भाजपा लगातार कांग्रेस पर सवाल उठा रही है. राज्य में होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की कमान पूरी तरह प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ (Kamal Nath) के हाथ में है. इसके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, सुरेश पचौरी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, मीडिया विभाग के अध्यक्ष जीतू पटवारी, पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा, लाखन सिंह यादव, सचिन यादव, जयवर्धन सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति मुख्य तौर पर कांग्रेस का प्रचार करने में लगे हैं. इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की दूरी बनी हुई है.
पार्टी की प्रदेश इकाई द्वारा जिन नेताओं को प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है, उसमें दिग्विजय सिंह नजर नहीं आ रहे हैं. अभी तक चुनाव की इक्का-दुक्का सभाएं ही ऐसी रही होंगी जहां दिग्विजय सिंह उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार करने पहुंचे हों, वे खुद पिछले दिनों भी साफ कर चुके हैं कि इस बार उनकी उपचुनाव में भूमिका असंतुष्ट लोगों को मनाने की है. वहीं दिग्विजय सिंह के नजर न आने पर भाजपा की ओर से लगातार तंज कसे जा रहे हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि दिग्विजय सिंह ऐसे नेता हैं, जिन्हें पार्टी प्रचार से दूर रखती है और दिग्विजय खुद मानते हैं कि उनके प्रचार करने से कांग्रेस के वोट कट जाते हैं. सिंह शायद देश के इकलौते ऐसे नेता होंगे, जिनके सामने आते ही कांग्रेस के वोट कट जाते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि "जनता को उनके दस साल के शासनकाल की याद जो आ जाती है. वे राज्य में बंटाढार नेता के तौर पर है." यह भी पढ़े:Shivraj Singh Chouhan Attacks on Digvijay Singh: दिग्विजय सिंह के बयान पर शिवराज सिंह चौहान का पलटवार, कहा-कांग्रेस नेताओं को ये कहते शर्म नहीं आती, क्या पूरी कांग्रेस बिकाऊ है
इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी दिग्विजय सिंह पर चुटकी लेते हुए दिग्विजय सिंह और कमल नाथ की जोड़ी को बड़े-छोटे भाई की जोड़ी बताया है. सिंधिया का कहना है कि चुनाव आता है तो बड़ा भाई (दिग्विजय सिंह) पर्दे के पीछे हो जाते हैं. चुनाव संपन्न हो जाता है तो इसके बाद डोरी बड़े भाई के हाथ में आ जाती है. "दिग्विजय सिंह जितना दौरा करेंगे, उतना जनता हमारे साथ होगी."
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने सोची-समझी रणनीति के तहत दिग्विजय सिंह को प्रचार में ज्यादा सक्रिय नहीं किया है. पार्टी किसी भी तरह का विवाद पैदा नहीं करना चाहती और पूरा चुनाव सिर्फ कमल नाथ के नाम पर लड़ा जा रहा है. लिहाजा, दिग्विजय सिंह को प्रचार से दूर रखा जा रहा है. इसके साथ ही भाजपा को भी हमले करने का मौका कम मिले. इसी रणनीति पर कांग्रेस अमल कर रही है.