मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को राज्यपाल कोटे से एमएलसी (विधान परिषद सदस्य) बनाया जा सकता है. महाराष्ट्र कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी है और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) से मनोनीत करने का अनुरोध किया है.
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) ने गुरुवार को बताया कि आज कैबिनेट बैठक में राज्यपाल द्वारा मनोनीत दो खाली एमएलसी (MLC) पदों में से एक पर सीएम उद्धव ठाकरे के नाम की सिफारिश करने का निर्णय लिया गया है. क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से अभी एमएलसी चुनाव नहीं हो सकते हैं. इसलिए संवैधानिक संकट को टालने के यह फैसला लिया गया है. मुंबई में कोरोना वायरस की डबल मार, ब्रीच कैंडी-भाटिया समेत 6 निजी अस्पताल सील
A decision was taken in today's cabinet meeting to recommend CM Uddhav Thackeray's name for the 2 vacant MLC posts that are recommended by Governor. As MLC elections can't be held due to #COVID19, it is being done to avoid a constitutional crisis: Maharashtra Minister Nawab Malik pic.twitter.com/kIwkhaif5p
— ANI (@ANI) April 9, 2020
दरअसल, 59 वर्षीय शिवसेना नेता ने पिछले साल 28 नवंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. वर्तमान में उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र विधानसभा के किसी भी सदन के सदस्य नहीं है. जबकि भारत के संविधान के अनुसार किसी भी राज्य का मंत्री या मुख्यमंत्री वहां के विधान परिषद या विधानसभा का सदस्य होना चाहिए. ऐसे में शपथ ग्रहण के छह महीनों के भीतर निर्वाचित होना अनिवार्य है. ऐसे नहीं करने पर पद से इस्तीफा देना पड़ता है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का छह महीने का कार्यकाल 28 मई को पूरा होने जा रहा है. एस बीच कोरोना संकट के चलते राज्य में किसी भी प्रकार का चुनाव होना असंभव हो गया है.
गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी 105 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. वहीं, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी. एक साथ चुनाव लड़ने वाली बीजेपी और शिवसेना में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद इतना बढ़ा की गठबंधन टूट गया और राज्य में लंबे समय तक किसी की सरकार नहीं बन सकी. इसके बाद उद्धव ठाकरे नीत ‘शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस’ का गठबंधन हुआ और ‘महाराष्ट्र विकास आघाडी’ बनाई गई. तब जाकर तीनों दलों की गठबंधन वाली सरकार बनी, जिसमें शिवसेना प्रमुख को मुख्यमंत्री बनाया गया.