महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly election) का रण सज चुका है, 21 अक्टूबर को देश के तीसरे सबसे बड़े राज्य में लोकतंत्र का महापर्व होगा. इसके लिए सत्ताधारी बीजेपी-शिवसेना पूरी ताकत से मैदान में उतर गई हैं. बीजेपी का लक्ष्य अपनी सत्ता बचाए रखना है. लेकिन यह राह आसान नहीं है. एक ओर बीजेपी राष्ट्रवाद के मुद्दे के साथ अनुच्छेद 370 और तीन तलाक पर हुए फैसले को भुना रही है तो वहीं दूसरी ओर देवेंद्र फडणवीस सरकार के अभी तक के कामों का लेखा- जोखा और आने वाले नए प्लान पर बीजेपी को जीत की सीढियां चढ़नी है. बीजेपी और शिवसेना साथ आकर विधानसभा चुनाव जीतने का दम भर रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में जीत दोहराना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है.
हालांकि, इस समय NDA गठबंधन मजबूत नजर आ रहा है, लेकिन शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों के कई मुद्दे बीजेपी के विजयरथ के सामने स्पीडब्रेकर का काम कर सकते हैं. लोकसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद निश्चित तौर पर बीजेपी इस समय आत्मविश्वास से भरपूर है. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की ताकत के बावजूद भी ऐसे कुछ मुद्दे हैं जो जीत राह में रोड़ा बन सकते हैं. हम आपको बताते हैं ऐसे कुछ बड़े मुद्दों के बारे में...
किसानों की समस्या
महाराष्ट्र में होने वाले चुनावों में किसानों की समस्या बड़ा मुद्दा है. राज्य के किसान लगातार सूखे और कर्ज की मार से परेशान है. महाराष्ट्र में आत्महत्या करने वाले किसानों का ग्राफ काफी ऊंचा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी और शिवसेना की वर्तमान सरकार के दौरान सूबे में 12,021 किसानों ने आत्महत्या की. किसानों की समस्या बीजेपी और शिवसेना गठबंधन की सरकार को मुश्किल में डाल सकते हैं.
जल संकट
महाराष्ट्र में हर साल गर्मी के मौसम में पानी की समस्या होती है. लोगों को टैंकर से पानी मुहिया कराया जाता है. पिछली सरकारों के दौरान भी यही आलम था. इस साल राज्य में कई इलाकों में अच्छी बारिश हुई है मगर मराठवाड़ा के कई इलाकों में हालत अब भी सुधरे नहीं हैं. लातूर जिले में भी जलसंकट गहराया हुआ है आलम यह है कि लातूर में इस बार गणेश उत्सव के दौरान भगवान की प्रतिमाएं तक विसर्जित नहीं की गईं. गर्मी के मौसम में मराठवाड़ा और लातूर में पानी के लिए लोगों को कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा था.
सड़क
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के लिए सड़क अभी भी सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. मुंबई से लेकर उपनगरों तक सड़कों का हाल-बेहाल है. सड़कों की बद्दतर स्थिति, बड़े-बड़े गड्ढे कभी न हल होने वाली समस्या बन गई है. खराब सड़कें भी प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक है. खस्ताहाल सड़कों की वजह से दुर्घटना का अधिक खतरा है तो साथ ही उबड़-खाबड़ गड्ढे वाली सड़कें वाहन चालकों के लिए बड़ा सिरदर्द है.
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आरे
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जो मुद्दा उठा है वह है आरे. फडणवीस सरकार जहां आरे के झाड़ों कटवाकर मेट्रो के निर्माण में मुंबई का विकास देख रही है तो वहीं बड़ी तादाद में मुंबईकर इसके खिलाफ हैं. यहां तक कि शिवसेना भी मुद्दे को लेकर बीजेपी के खिलाफ है. बीते दिनों आरे को लेकर मुंबई में जबरदस्त प्रदर्शन हुए. कई लोगों की गिरफ्तारी हुई. सियासी जानकारों का मानना है कि इसका असर मुंबई और उसके करीबी इलाकों में मतदान के दौरान नजर आएगा.
बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और शिवसेना मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. 288 विधानसभा सीटों के लिए बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ 164 और शिवसेना 124 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बीजेपी इनमें से 150 सीटों पर खुद लड़ रही है, वहीं 14 सीटों पर उसके सहयोगी दल चुनाव लड़ेंगे. सूबे में 21 अक्टूबर को मतदान होने हैं. नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे.