मध्य प्रदेश सियासी संकट: बीजेपी को मात देने के लिए कांग्रेस ने बनाया ये प्लान
बीजेपी (Photo Credits: IANS)

भोपाल: मध्य प्रदेश की कमलनाथ (Kamal Nath) सरकार पर भले ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं, मगर कांग्रेस (Congress) ने अब तक हार नहीं मानी है और वह मैदान छोड़ने को तैयार नहीं है. यही कारण है कि कांग्रेस ने अब बीजेपी  की कमजोर कड़ियां खोजनी शुरू कर दी है. कांग्रेस की कोशिश है कि अब बीजेपी को उसकी ही कमजोर कड़ी के जरिए मात दी जाए. राज्य में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बीजेपी को आस जागी है कि उसके पास 107 विधायकों की संख्या सरकार बनाने में मदद दे सकती है. लेकिन एक विधायक नारायण त्रिपाठी (Narayan Tripathi) के बगावती और उग्र तेवरों ने बीजेपी की मुसीबत बढ़ानी शुरू कर दी है. बागी तेवर वाले त्रिपाठी ने तो यहां तक कह दिया है कि "राज्य की कमलनाथ सरकार को बहुमत है और लोकतंत्र की हत्या करने की कोशिशें चल रही हैं."

त्रिपाठी ने सीधे तौर पर बीजेपी का तो नाम नहीं लिया, मगर इशारों इशारों में बीजेपी पर हमला जरूर किया है. साथ ही बीजेपी छोड़ने के सवाल पर उन्होंने मौन साध लिया है. बीजेपी विधायक त्रिपाठी के पिछले दिनों की गतिविधियों पर ध्यान दें तो वह लगातार मुख्यमंत्री कमलनाथ के संपर्क में हैं और मुख्यमंत्री आवास पर बगैर किसी रोक-टोक के आ-जा रहे हैं. वह अपने इरादों को भी समय-समय पर जाहिर कर चुके हैं. सोमवार को बजट सत्र में वह बीजेपी विधायकों के साथ थे, मगर जब बीजेपी विधायक राजभवन गए तो त्रिपाठी उनके साथ नहीं थे. यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश सियासी संकट: सुप्रीम कोर्ट ने भेजा कमलनाथ सरकार को नोटिस, फ्लोर टेस्ट पर कल होगी सुनवाई

त्रिपाठी की दूरी को लेकर जब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) से सवाल किया गया तो उन्होंने सिर्फ यही कहा कि त्रिपाठी के घर में गमी हुई है, इसलिए वह व्यस्त हैं. राज्य के सियासी गणित पर गौर करें तो विधानसभा में सदस्यों की संख्या 230 है. दो स्थान रिक्त हैं और छह विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए जा चुके हैं. वहीं कांग्रेस के 16 विधायकों के इस्तीफे लंबित हैं. बीजेपी को उम्मीद इस बात की है कि उसके पास 107 विधायक हैं और वह सदन में बहुमत में है. दूसरी ओर कांग्रेस भी जोर लगाए हुए है और बीजेपी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश में है.

कांग्रेस के 16 विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 हो जाएगी और समर्थन देने वाले दो बसपा, एक सपा और चार निर्दलीय विधायकों को मिलाकर कुल 99 विधायक कांग्रेस के पास होते हैं. वही बीजेपी के एक विधायक त्रिपाठी के बगावती तेवरों के चलते बीजेपी का आंकड़ा 106 नजर आता है. सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस की कोशिश है कि बीजेपी के सात-आठ विधायकों को तोड़ लिया जाए तो स्थिति बदल सकती है और कांग्रेस इसी कोशिश में लगी है कि किसी तरह बीजेपी के सात-आठ विधायकों को तोड़कर उसे कमजोर किया जाए और विधायकों की संख्या 95 और 98 के बीच ला दी जाए. यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश सियासी संकट: कांग्रेस के बागी विधायक मीडिया से हुए रूबरू, कहा- ज्योतिरादित्य सिंधिया हमारे नेता, BJP में शामिल होने पर फैसला नहीं

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, बीजेपी में भी असंतुष्ट विधायकों की कमी नहीं है. पिछले दिनों विधानसभा में मत विभाजन के दौरान बीजेपी के दो विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल बगावत कर कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर चुके हैं. इस घटना के बाद से कांग्रेस ने बीजेपी के कई असंतुष्ट विधायकों से करीबियां बढ़ाई है. इसी के चलते कांग्रेस को उम्मीद है कि बीजेपी ने अगर उसे कमजोर किया है तो वह भी बीजेपी को मात दे सकती है.