मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018: टिकट कटने से बागी हुए BJP के 64 नेता, सभी को दिखाया गया पार्टी से बाहर का रास्ता

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ बीजेपी की राह आसान नहीं होगी. दरअसल एक तरफ ज्यादातर चुनावी सर्वे सूबे में कांग्रेस के साथ बीजेपी की कड़ी टक्कर का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर पार्टी में टिकट को लेकर अंदरूनी विवाद चल रहा है. इसी का नतीजा है बीजेपी ने अपने 64 नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इसमें तीन पूर्व मंत्री भी शामिल है.

बीजेपी ने 64 नेताओं को पार्टी से निकाला (Photo Credit: Twitter)

भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ बीजेपी की राह आसान नहीं होगी. दरअसल एक तरफ ज्यादातर चुनावी सर्वे सूबे में कांग्रेस के साथ बीजेपी की कड़ी टक्कर का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर पार्टी में टिकट को लेकर अंदरूनी विवाद चल रहा है. इसी का नतीजा है बीजेपी ने अपने 64 नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इसमें तीन पूर्व मंत्री भी शामिल है.

जानकारी के मुताबिक बीजेपी ने पहले सभी नाराज नेताओं को मनाने की भरपूर कोशिश की. लेकिन जब वे नहीं मानें तो पार्टी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए सभी को बाहर कर दिया. इसमें बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह, राज्य के पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसुमारिया और केएल अग्रवाल समेत 64 नेता शामिल है. पार्टी से निष्कासित किए गए नेताओं में ग्वालियर की पूर्व मेयर समीक्षा गुप्ता का भी नाम हैं. वहीं बीजेपी से निकाले गए कुछ नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है और चुनाव मैदान में उतर आए है. जबकि कुछ निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले है.

गौरतलब हो कि बुधवार को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नाम वापस लेने का अंतिम दिन था. मगर पार्टी से बगावत कर चुके बीजेपी के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया और अशोकनगर में पूर्व मंत्री अग्रवाल ने नाम वापस लेने से इनकार कर दिया था.

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मध्य प्रदेश में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज कुसमरिया को मानने के लिए बीजेपी ने अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा को भेजा था लेकिन वे नहीं माने. कुसमरिया पांच बार सांसद रहे हैं और दो बार विधायक. इस बार पार्टी ने उनको अपना स्टार प्रचारक भी बनाया था. लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया.

वहीं बमोरी विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा फार्म भरने वाले अग्रवाल ने मान-मनौव्वल के बाद भी बीजेपी की नहीं सुनी. उन्होंने नाम वापस नहीं लिया और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं. अग्रवाल ने कहा कि कार्यकर्ताओं और जनता की मांग पर वे चुनाव लड़ रहे है. इसलिए पर्चा वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता.

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