रामपुर: निर्वाचन आयोग के लगाए 48 घंटे का प्रतिबंध खत्म होने पर शुक्रवार को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता आजम खां (Azam Khan) ने चुप्पी तोड़ी. उन्होंने कहा कि उनके और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बयान में कोई फर्क नहीं है, लेकिन आयोग ने सिर्फ उनके ऊपर प्रतिबंध लगा दिया. आयोग का यह रवैया पक्षपातपूर्ण है.
आजम ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर जो आरोप लगाए थे, ठीक वैसी ही बात मैंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दिसंबर, 1992 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री को लेकर कही थी. लेकिन राहुल गांधी को तो चुनाव आयोग ने क्लीनचिट दे दी है, फिर मेरे ऊपर प्रतिबंध क्यों लगाया गया? आयोग का यह रवैया मेरे खिलाफ है. यह दर्शाता है कि उनका व्यवहार पक्षपातपूर्ण है."
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पूर्व मंत्री आजम ने कहा, "चुनाव आयोग भी इस बार केंद्र में भाजपा की सरकार बनने को लेकर पूरी तरह मुतमइन नहीं है. 2014 में चुनाव आयोग केंद्र में भाजपा की सरकार बनने को लेकर मुतमइन था तो पूरे चुनाव में मेरे बोलने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस बार आयोग भाजपा की सरकार बनने को लेकर मुतमइन नहीं है, इसलिए टुकड़ों में प्रतिबंध लगाया जा रहा है."
उन्होंने ईवीएम हैक किए जाने की आशंका जताते हुए कहा कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के मंडी समिति में जाने पर रोक लगाई जानी चाहिए, जहां ईवीएम रखी गई है. डीएम-एसपी की गाड़ी की तलाशी होनी चाहिए, क्योंकि उनके पास ऐसी सूचना है कि इनके वाहन में ईवीएम हैक करने का कोई उपकरण मौजूद है.
आजम खां ने कहा, "क्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाना ही देशभक्ति है? देश के प्रधानमंत्री नफरत की भाषा बोल रहे हैं. ऐसे में तो यही लगता है कि देश अघोषित हिंदूराष्ट्र बन गया है. अब बहुसंख्यक समुदाय को यह फैसला करना है कि वह अल्पसंख्यकों को साथ रखना चाहते हैं या नहीं. इस पर बैठकर बात होनी चाहिए."
उन्होंने ईवीएम हैक किए जाने की आशंका जताते हुए कहा कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के मंडी समिति में जाने पर रोक लगाई जानी चाहिए, जहां ईवीएम रखी गई है. डीएम-एसपी की गाड़ी की तलाशी होनी चाहिए, क्योंकि उनके पास ऐसी सूचना है कि इनके वाहन में ईवीएम हैक करने का कोई उपकरण मौजूद है.
आजम खां ने कहा, "क्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाना ही देशभक्ति है? देश के प्रधानमंत्री नफरत की भाषा बोल रहे हैं. ऐसे में तो यही लगता है कि देश अघोषित हिंदूराष्ट्र बन गया है. अब बहुसंख्यक समुदाय को यह फैसला करना है कि वह अल्पसंख्यकों को साथ रखना चाहते हैं या नहीं. इस पर बैठकर बात होनी चाहिए."