नई दिल्ली:- झारखंड विधानसभा चुनाव के रुझान आ रहे हैं। 81 विधानसभा सीटों वाले राज्य में भारतीय जनता पार्टी (BJP) रुझानों में एक फिर से बढ़त नजर आ रही है. क्योंकि पहले रुझान देखने बाद लगा कि अब बीजेपी का सूपड़ा साफ हो रहा है. लेकिन खेल अभी बाकी है क्योंकि बीजेपी भी करीब तक पहुंच रही रही है. फिलहाल जो रुझान सामने आ रहे हैं उसके अनुसार बीजेपी 31 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. वहीं कांग्रेस गठबंधन 39 सीटों पर आगे हैं. इससे पहले बीजेपी 28 सीटों पर रुझान में आगे थी. परिणाम आने में भले ही कुछ समय बाकी है लेकिन रुझानों में आगे-पीछे का दौर जारी है. कई ऐसी सीटें हैं जहां पर कांटे की टक्कर जारी है. जमशेदपुर पूर्व सीट पर मुख्यमंत्री रघुवर दास, पूर्व मंत्री और निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय से पीछे चल रहे हैं.
बता दें कि शुरुआती रुझान में झामुमो गठबंधन 40 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रहा है। राज्य निर्वाचन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, अभी तक आए मतगणना के रुझानों के मुताबिक, झामुमो गठबंधन 42 सीटों पर आगे चल रहा है. जबकि भाजपा 29 सीटों पर आगे चल रही है. झाविमो चार और आजसू तीन सीटों पर आगे चल रही है. अभी तक 77 सीटों के रुझान सामने आया है. हालांकि यह शुरुआती रुझान है. सिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में पूर्व उपमुख्यमंत्री और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन(आजसू) पार्टी के अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की सीमा देवी से 10 मतों के अंतर से आगे चल रहे हैं. आजसू के सुदेश महतो अब सिल्ली सीट से 10400 वोटों से आगे चल रहे हैं। झामुमो की सीमा देवी पीछे चल रही हैं.
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टूट सकता है रिकॉर्ड
झारखंड में अब तक जितने भी चुनाव हुए, उसमें मौजूदा मुख्यमंत्रियों को अपनी सीट गंवानी पड़ी है. 19 साल में यह राज्य अब तक छह मुख्यममंत्री देख चुका है. क्या रघुवर दास राज्य में मुख्यमंत्रियों की अपनी सीट गंवाने का मिथक तोड़ पाएंगे या फिर वह भी इस मिथक का हिस्सा बन जाएंगे. हालांकि पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले मुख्यमंत्री के तौर पर रघुवर दास इतिहास जरूर रच चुके हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वर्ष 2000 में झारखंड बना था. तब बीजेपी ने राज्य की पहली सरकार बनाई थी और बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बने थे. मगर अगले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।.उसके बाद मुख्यमंत्री बने अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, और हेमंत सोरेन भी बाद में अपनी सीट बचाने में सफल नहीं हुए. झारखंड 19 साल में छह मुख्यमंत्री देख चुका है.